Book Title: Mandavgadh Ka Mantri Pethad Kumar Parichay
Author(s): Hansvijay
Publisher: Hansvijay Jain Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ आभार. इस पुस्तकके प्रसिद्ध करनेमें जिन समि भाईयोंने 8 8 अपना पुण्योपार्जित लक्ष्म.का सदुपयोग किया है उनका Y उपकार माने बिना हम नहीं रह सकते. अमरावती नि-Y वासी श्रीयुत फतेचन्दजी फलोधिया, कि जिन्होंने अम-के रावतीमें श्री जिन मन्दिर बनवाकर बडे समारोहके साथ प्रतिष्टा महोत्सव किया, और वहांपर यात्रालु लोगोंके लिए एक धर्मशाला बनवाई है और उद्यापन करके अपना Y जीवन सफल किया और कररहे हैं उन श्रीमान्की धर्मपनि । से श्रीमती अमृतबाईने २५०) रुपये दिये हैं तथा जयसिंह भाई उगरचन्द दलाल अमदाबादवाले जिन्होंने उद्यापनादि में अच्छा धन खर्च किया और कर रहे हैं उन्होंने २०१) ॐ रुपये दिये हैं. तथा सूरत निवासी झवेरी भूरियाभाई में जीवनचन्दने २५) रुपये तथा कालियावाडीवाले नेमचन्द । ॐ भाई फकीरचन्दने २५) रुपये दिये हैं इस लिए हम उपरोक्त ॐ सग्रहस्थोंका अंतःकरण पूर्वक उपकार मानते हैं कि जिन्होंने परमपूज्य श्रीमान् हंसविजयजी महाराजके बनाये हुए इस धर्म परिपूर्ण ऐतिहासिक पुस्तकके प्रगट करने में मदद दी है। श्री हंसविजयजी जैन की लायबेरी के सेक्रेटरी बडौदा (स्टेट)

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 112