Book Title: Mallinatha Purana Author(s): Sakalkirti Acharya, Gajadharlal Jain Publisher: Vitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP View full book textPage 8
________________ अपने स्वर्गीय पिता श्रीमान् सिंघई पं. गुलजारीलाल जी जैन सोरया एवं माँ स्व. श्रीमती काशीवाई जी जैन की पावन स्मृति में स्थापित वीतराग वाणी टुस्ट रजिस्टर्ड टीकमगढ़ (म.प्र.) के अन्तर्गत इन ग्रंथों का प्रकाशन साकार किया गया है । भगवान महावीर स्वामी की परम्परा के महानतम आगम आचार्य भगवंत पुष्पदन्ताचार्य, श्रीसकल कीर्ति आचार्य, श्रीवादीभसिंह सूरि, श्री शुभचन्द्राचार्य, श्रीरविषेणाचार्य श्री सोमकीर्ति आचार्य, सिद्धान्त चक्रवर्ति श्री नेमिचन्द्राचार्य जैसे जैन वांगमय के महान आचार्यों के चरणों में त्रिकाल नमोस्तु कर कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिनके द्वारा रचित प्रथमानुयोग के मूल ग्रंथों के आधार पर हमारे सुधी विद्वानों ने हिन्दी टीका करके जनसामान्य के लिए सुलभता प्रदान की है । हम उन हिन्दी टीकाकार महान विद्वानों में- श्री पं. भूधरदास जी, श्री पं. दौलतरम जी, श्री पं. परमानंद जी मास्टर, श्री पं. नंदलाल जी विशारद, श्री पं. गजाधरलाल जी, श्री पं. लालाराम जी, श्री पं. श्रीलाल जी काव्यतीर्थ, श्री प्रो. डॉ. हीरालाल जी एवं डॉ. पं. श्री पन्नालाल जी साहित्याचार्य के प्रति कृतज्ञ हैं जिनकी ज्ञान साधना के श्रम के फल को चखकर अनेको भव्यों ने अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त किया । अंत में ट्रस्ट की ग्रंथमाला के सहसम्पादक के रूप में युवा प्रतिष्ठाचार्य विद्वान श्री पं. बर्द्धमानकुमार जैन सोरया, चिं. डॉ. सर्वज्ञदेव जैन सोरया टीकमगढ़, श्रीमती सुनीता जैन एम.एस-सी., एम.ए. बिलासपुर एवं श्रीमती रेखा सोंग्या सम्पादक वीतरागवाणी टीकमगढ़ को आशीर्वाद देता हूँ जिनके निरन्तर अथक श्रम से इन ग्रंथों का शीघ्रता से प्रकाशन सम्भव हो सका । ऐसे अलौकिक समस्त जीवों के उपकारी तीर्थकर महावीर स्वामी के २६ सौ वें जन्म वर्ष की पुनीत स्मृति में उनके ही द्वारा उपदेशित अध्यात्म ज्ञान के अलौकिक ज्ञान पुंज २६ ग्रंथों के प्रकाशन का संकल्प साकार करते हुए अत्यंत प्रमोद का अनुभव कर रहा हूँ। यह ग्रंथ अवश्य भावी पीढ़ियों कों आध्यात्म का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। आशा है इससे भावी भव्य जन अपना निरन्तर उपकार करते रहेंगे। सैलसागर, टीकमगढ़ (म.प्र.) प्रतिष्ठाचार्य पं. विमलकुमार जैन सोरया "भगवान महावीर निर्वाण दिवस' अध्यक्ष-वीतराग वाणी ट्रस्ट रजि. ४ नवम्बर २००२ प्रधान सम्पादक-वीतरागवाणी मासिक Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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