Book Title: Mahavira ri Olkhan
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Anupam Prakashan

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Page 14
________________ मैं अपराधी ने सजा देवरण खातर 'हाकार' दण्डनीति री व्यवस्था ही । जो आदमी मर्यादा नै उलांघतो उरगने इतरो सोक केवरणौ कै 'हा' थे प्रो कांई करो, बड़ो जबरो डड हो । एक दफा इतरो कड़ो डंड देण रै बाद वो मिनख कदैइ दुबारा वा गलती नी करतो । छठा कुळकर सीमंधर बचियोड़ा कळपत्रक्षां पर वैयक्तिक मालकियत पर सीमा तै करी । श्रा बात कहीजं के जद सूं ही मिनखां में निजी सम्पत्ति री भावना पैदा हुई । सातमा कुळकर विमलवाहन हाथी अर पालतू जिनावरां ने बांध राखण अर उरणारो सवारी आदि कामां में उपयोग करण री सीख दीवी । आठमा कुळकर चक्षुष्मान जुगळिया स्त्री, पुरुसां ने संतान रो सुख देखरणो बतायो । इरणांसू पैलां जुगलिया संतान नै जनम देयर खुद मर जावता । नवमा कुळकर यसस्वन लोगां नै संतान सू नेह करणो अर उरणरो नामकरण कररण री सीख दीवी । दसवे कुळकर अभिचन्द्र बाळक रै रौण, चुप करा बुलवाणे अर लाल-पाळण करण री लोगां नै सीख दीवी । छठा सूं दसवां कुळकर ताई दण्डनीति में 'हा' री जगां 'मा' (नीं, मती करो) सबद रो प्रयोग हुवरण लागो । ग्यारवे कुळकर चन्द्राभ सरदी, गरमी अर वायरे ₹ प्रकोप सू दुखी र भयभीत हुयोड़ा लोगां ने बचावरण री तरकीब बताई श्रर बाळकां रे पाळण पोसण जैड़ी उपयोगी बातां सिखाई । बारहवा कुळकर मरुदेव लोगां नै नदी-नाळा पार करण अर पहाड़ी पर चढ़ण री कला सिखाई । तेरहवे कुळकर प्रसेनजित बाळकां रे भली-भांत पाळण-पोषण री राय दीवी । चौदहवे कुळकर नाभिराय नवजात टाबर री नाभिनाल काटण री विधि बताई । इण समय ताई सगळा कळपक्ष खतम हुयग्या हा । नाभिराय गुजारा खातर लोगां ने धरती पर उग्योड़ा जौ, सालि, तुवर, उड़द, तिल प्रादि चीजां खावरण रो तरीको बतायो । प्राखरी चार कुळकरां रै समै दण्डनीति में 'धिक्कार' सबद रो प्रयोग हुवण लागो ।

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