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प्रवीनन क विमाना
श्रम
-बहुत अच्छा।
{न्ध आता है }
सुमंत्र--षि और विमित्र जो चाय लोगों को परशुराम जो समेत बुला रहे हैं।
और सब
महात्मा कहाँ है ?
सुमन्त्र-साराज दशरथ के डेरे में
}
राम--दों को थाना से मुझे जाना पड़ता है ।
सब-चलो वहीं
दति ।
{ सब बाहर जाते है ।
तीसरा जङ्ग
1 स्थान -- जनकपुर महाराज दशरथ का डेरा
विशिष्ट, विश्वामित्र, परशुराह, जनक और शता लाते हैं। वनि और विश्वाः --परशुराम,
पूर्व लो शत्रु तसा प्रसिद्ध जु इन्द्र मिश्र पियारे । राज जो यहि लोक के बीच सुरेश समान कासमें सारे । आगे रहें हम से जन जासु विश्व में है मनु से पधारे। बृह नरेस करें पुत्र के मोह से मां से कर जोरि तुम्हारे || जो इस व्यर्थ गड़े को छोड़ो ।
रखा जाय मधुपर्क और घी में पार्क अन । सोतीमाये तिघर कर हम सवन प्रस ||
परशु० --जो आप लोग कहते हैं उसमें मुझे इतना ही कहना है कि मा करने में बार व नाता जो राम ऐसा बोर न होता । आप देखें तो,
हैं
बालक राम, है प्रविदित कर्म दिe । पुनि परशु घर कमौन साध्यो हानि पर सन पाइकै