Book Title: Mahavira Charita Bhasha
Author(s): Lala Sitaram
Publisher: National Press Prayag

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Page 92
________________ xx प्राचीन नाटक मणिमाला ygg ཡ་དི– ི ༔ ཀླུ་ཤུ } बानी-शा बिमोपण तुम भी लाज लोय छोड़ने।। तुम है रा मिलता ही है। मेरी दल से जान लो कि रात्र मी अब नहीं है। तुम और राजन दोनों लड़के हो। परन्तु जो जरूका नबक खाता है उस का भला करना वर्म सस. झता है। तुम्हारे ज्ञान की बुक्ति शो कि निमीषद, नाम का मेल हो जाय। जितने बड़े है वह लव महाप्रतापियों का दोष སུ ཚུ ཛཱཧཱ , # པ : ཤུལུ་ ཝུ ་་ཝེ ཙཱཚaf नोल आदि-हाय आज हम लोग अनाथ हो गये हा. हड़ मन्दर सरिस लीरा ! हा! जमाहि अतुलबलबीर हा! दुन्दनी दनुज के बालक ! हा सुरेखामुत कपिकुलपालक । रोले हुये वाली को संभालते है , वाली-सुनो जी वीर बानर, सुनीष अंगद ईस रहि है तब या सन नास है। सब सहब इन की बात साप बड़ेन सो विश्वाल है। तव नेह जति है रामनयुद्ध. दिन थोरे अहै । तेहि हेतु जोर हाथ, तुम सब चोद हम कहु अषों कहै ।। मोकि, यह दिग्गजन सन युद्ध तब सिरि कान्द करि कायकै ।। वह दिनो पताल पूछन सिंधुदपज बढ़ाइ। अनि भूलिया रिपुमथन मह वह शादि दुनि निज यांहको पितेज पारुप धर्म युन्नि वह लिमोतिनिधाही (लब बाहर जाते है ।

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