Book Title: Mahavira Charita Bhasha
Author(s): Lala Sitaram
Publisher: National Press Prayag

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Page 130
________________ M प्राचीन नाटक मणिमाला और ब-बहुत अच्छी बात हुई । विमिन शिष्यों के साथ आने हैं ) . s:: विकासन मिलोमन वाधी। पुहि निकाह उपाय लेल या बिन नरो रह्यो । नाशिक्षि अतुल व अभिबेक की आई घरी हि होन परम आनन्द अब तक खोज जो बिन्ता हरी ॥ प्रसिद-यह वही विश्वामित्रजी हैं। शिवितेज बहातेज अधिशाय । लोभस के धाम हुन सबै हार ! । सिट और विश्वामित्र एक दूसरे से मिलते हैं) -~महाल बागि अब किल का आसरा देश बाल-कुछ नहीं, लोपरीति कोजिये। विमित्र अषियों से चलो रामचन्द्र का अभिषेक कर सब बाहर जाते हैं। स्था - सध्या राजमन्दिर ; লাল জা ২ ছাত্ৰ গ্ৰ সখ্য শহর মসুন্ন वरिष्ट विश्वामित्र आदि आते है) समलोग साल्याभिषेक की ति मांति करते हैं) . मपश्य दुन्दुभी बजती है और रंगभूमि से फूल बरसते हैं। वशिष्ठ-अधा लोकपालों के साथ इन्द्रभी भया रामचन्द्र के अधिक से प्रसन्न हैं। राम-( अभिरेक पाके वसिष्ठ और विश्वामित्र से प्रणाम करने है। अलिष्ट और विश्वा--- लिज भाइन के साथ, रामचन्द्र गुनधाम तुम। रही धनि के नाथ, जो पाली

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