Book Title: Mahavira Charita Bhasha
Author(s): Lala Sitaram
Publisher: National Press Prayag

View full book text
Previous | Next

Page 127
________________ महार्थ रयरिमाणा राम---१ बलिष्ठ को देखकर हर्ष से वहीं मि ' विनि । जाके पावन दरतें करते हैं । { में ) भैया राम और समय- गुरुजी राम लक्ष्य तुम को मन के सरिल रामादि करें देखि भाओ। -- ज्ञान के नयन तय निज निज अवसर पाय राजनीति श्रधर्मरत रहो दूह | को प्रणाम करते है | [ राम और लक्ष्मण अरुन्धती - तुम्हारो मनोकामना पूरी हो । [ राम और aer कम से सब माताओं को महान करते हैं । सब माता --- लड़कों को गले लगाके । जियो बे ( सीता आगे बढ़कर वसिष्ठ को प्रणाम करती है) afe-बेटी तुम चोरों की माता हो 4 ( सोता तो को प्रणाम करती है | S अदन्ती--( सीना को गले लगाकर ) बेहो मुद्रा मनसूया और हम यह तीन ही प्रति संसार में कह जातो व तुम्हारे होने से चार हो गई। ( सीता सासों के पैर छूती है । सब-- वह तुम्हारे सपूत लड़का हो ( परदे के पीछे ) उत्सव घर घर ना करें सब प्रजासमाजा ! Hear अधिकारि करें लव तिज निक काना | fe अभिषेक निमित्त विधान सकल करि राखै । मुनि कृशाश्व के शिष्य कुशिकनदन यह भाषै ॥ बसिए - ( सुनकर ) भैया भी कैला साम्यमान हैं जिस कं सिंहासन पर बैठाने को विश्वामित्रनी आप भा रहे हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 125 126 127 128 129 130 131 132 133