Book Title: Mahavira Charita Bhasha
Author(s): Lala Sitaram
Publisher: National Press Prayag

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Page 63
________________ এ ইex হne wen W महायात्वरित उपाय—महात्मा कौशिकसी देवी व न कहिये, दिलीप नये जिले ॥ भक्तिन पूजा कीन्ही कुलदेह जन भाव व हुजा ॥ के लिए सा { साँचि ममीला और भाऊ । तिनही कर यह प्रय जो आप प्रसन्न ऋऋपिऊ || 1123 L afg-सच है, विश्वामित्र जी ऐसेही हैं । W प्रतिश की प्रति । जहाँ न होत वचन चित की यति || राजन मे तपतेजनिधाना। का जग विश्वामित्र समाता ॥ विश्व बलिष्ठ जो, 11 तुम विधित तुम गिरल गुरु विद्यातपखति । जल र सहि भयो सत्य तुम्हारी बानि ॥ रामचन्द्रजी ऐसे हैं तो कीम में अचरज की बात है. रामचन्द्र के पितातो महाराज दशरथ हैं । रवित मनु के वंस में भये जे पुण्यतरूप / तुम सन तित उपदेश लहि जग पाल्यो जे भूप ! जासु जगन पावन चरित, तिनकर यह पत्र पाय । वर महिपालमणि राजन गुणसमुदाय ॥ शत्रुदमन के काज इन्द्र जिन जम्म पचारा । सख्तन के जो ईस विश्व जाके बस बात || सेनाजोतनहार सुरघातक रनधोरहि । मला अनेकन बार समर यह नरपति बोरहि ॥ 第

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