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महायात्वरित
उपाय—महात्मा कौशिकसी देवी व न कहिये,
दिलीप
नये जिले ॥ भक्तिन पूजा
कीन्ही
कुलदेह जन भाव व हुजा ॥ के लिए सा
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साँचि ममीला
और
भाऊ ।
तिनही कर यह प्रय जो आप प्रसन्न ऋऋपिऊ ||
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afg-सच है, विश्वामित्र जी ऐसेही हैं ।
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प्रतिश की
प्रति । जहाँ न होत वचन चित की यति || राजन मे तपतेजनिधाना। का जग विश्वामित्र समाता ॥
विश्व बलिष्ठ जो,
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तुम विधित तुम गिरल गुरु विद्यातपखति । जल र सहि भयो सत्य तुम्हारी बानि ॥
रामचन्द्रजी ऐसे हैं तो कीम में अचरज की बात है. रामचन्द्र के पितातो महाराज दशरथ हैं ।
रवित मनु के वंस में भये जे पुण्यतरूप / तुम सन तित उपदेश लहि जग पाल्यो जे भूप ! जासु जगन पावन चरित, तिनकर यह पत्र पाय । वर महिपालमणि राजन गुणसमुदाय ॥ शत्रुदमन के काज इन्द्र जिन जम्म पचारा । सख्तन के जो ईस विश्व जाके बस बात || सेनाजोतनहार सुरघातक रनधोरहि । मला अनेकन बार समर यह नरपति बोरहि ॥
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