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पुनर्जन्म आदि के सिद्धान्त आज भी उतने ही सत्य, उपयोगी व व्यवहारिक है, जितने कि वे उनके समय मे थे ।
एक बात हम यहाँ स्पष्ट कर दे कि हमने ऊपर जो तुलनात्मक विवेचन किया है, वह केवल वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिये किया है । हमारा अभिप्राय किसी की भी प्रतिष्ठा को कम आकने का नही है ।
क्या भगवान महावीर सर्वज्ञ थे ?
कुछ व्यक्ति भगवान महावीर के सर्वज्ञ होने पर शका करते हैं । परन्तु उनकी यह शका निर्मूल है। यदि वे पूर्वाग्रह छोडकर खुले मस्तिष्क से गम्भीरतापूर्वक विचार करेगे तो उनकी इस शका का समाधान हो जायेगा ।
ससार की जनसख्या कई अरब है । इन समस्त व्यक्तियो को एक-सा ज्ञान नहीं होता, किसी को कम होता है किसी को अधिक । कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो थोडा-सा अध्ययन करके ही पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, जबकि कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो पर्याप्त परिश्रम करने पर भी समुचित ज्ञान का उपार्जन नही कर पाते । कुछ बालक जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के होते हैं, जबकि कुछ बालक जन्म से ही मन्द बुद्धि होते हैं । एक कक्षा में सभी बालक एक साथ और एक समान ही शिक्षा पाते हैं, फिर भी कुछ बालक परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं और कुछ असफल रह जाते हैं । कहने का तात्पर्य यही है कि संसार मे समस्त व्यक्तियो को एक समान ज्ञान नही होता, कुछ को कम होता है और कुछ को अधिक होता है । एक बात और भी ध्यान देने योग्य है। ज्ञान का आधार यह भौतिक शरीर नही होता । यदि ज्ञान भौतिक शरीर के आधार
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