Book Title: Mahavir aur Unki Ahimsa
Author(s): Prem Radio and Electric Mart
Publisher: Prem Radio and Electric Mart

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Page 165
________________ को काटने वाला, मारने वाला, मोल लेने वाला, बेचने वाला, पकाने वाला, परोसने वाला और खाने वाला ये सबके सब पापी और दुष्ट हैं।" "जिसका मास मैं यहा खाता हु (मा) मुझको (स) वह भी दूसरे जन्म में अवश्य खाएगा।" -मनुस्मृति ५/५५ चाणक्यनीति मे लिखा है - "मास खाने वाले, शराब पीने वाले, बिना पढे-लिखे, मूर्ख पुरुष, पशु के समान होते है। इनसे धरती माता सदैव दुखी रहती है।" स्वामी दयानन्दजी सरस्वती के विचार हैं "मास का प्रचार करने वाले सब राक्षस के समान हैं। वेदो मे कही भी मास खाने का उल्लेख नही है।" -सत्यार्थ प्रकाश, समुल्लास १२ "शराबी और मासाहारी के हाथ का खाने में भी शराब, मासादि के खाने-पीने का दोष लगता है।" __ "जो लोग मास और शराब का सेवन करते हैं उनके शरीर, वीर्य आदि धातु दुर्गन्ध के कारण दूषित हो जाते -सत्यार्थ प्रकाश, समुल्लास १० ___ "हे मासाहारियो । जब कुछ काल पश्चात् पशु न मिलेगे तब तुम मनुष्यो का मास भी छोडोगे या नही।" - स्वामी दयानन्दजी सरस्वती, गौ करुणानिधि - "गऊ आदि पशुओ का नाश होने से राजा और प्रजा दोनो का नाश हो जाता है।" ---स्वामी दयानन्दजी सरस्वती "गो रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है"

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