Book Title: Mahavir aur Unki Ahimsa
Author(s): Prem Radio and Electric Mart
Publisher: Prem Radio and Electric Mart

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Page 149
________________ महीने मे ही उसके गुण नष्ट हो जायेंगे और वह खाने योग्य नहीं रहेगा। यदि हम आटे का भोजन, मिठाई आदि बना लें तो वे खाद्य पदार्थ अधिक-से-अधिक चार-पाच दिन सेवन करने योग्य रह सकते हैं। यदि हम आटे में पानी मिलाकर उसको उसनकर रख दे तो वह कुछ घण्टो के बाद ही खराब होने लगेगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि अपनी प्राकृतिक दशा में गेहू बहुत समय तक ठीक रह सकता है । परन्तु जैसे-जैसे हम उसका रूप बदलते जाते हैं, उसकी ठीक अवस्था मे रहने की अवधि तथा उसके गुण कम होते जाते है। इसी प्रकार यह भी एक सर्वविदित तथ्य है कि कोई खाद्य पदार्थ जब बिलकुल सादा व अकेला सेवन किया जाता है तो वह जल्दी ही पच जाता है और शरीर को पोषण भी अधिक देता है । परन्तु यदि हम कई खाद्य पदार्थ एक साथ मिलाकर खाये तो वे गरिष्ठ हो जाते है, देर में पचते हैं और उनके पोषक तत्त्वो मे भी कमी हो जाती है। इसीलिए वैद्य और डाक्टर निर्बल और रोगी व्यक्तियो को सादा भोजन करने की राय देते हैं। इन तथ्यो को दृष्टि मे रखकर यदि हम अपने प्रतिदिन के भोजन की आदतो मे आवश्यक सुधार कर ले तो हम कम व्यय मे अधिक पोषक व स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन प्राप्त कर सकते है। इस सम्बन्ध मे हमे निम्नलिखित बातो पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमारे शरीर को भोजन सम्बन्धी आवश्यकताए चौबीस घण्टो में एक बार भोजन करने से ही पूरी हो सकती हैं। फिर भी, जो व्यक्ति ऐसा करने में असमर्थ हों वे दिन मे

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