Book Title: Mahavir aur Unki Ahimsa
Author(s): Prem Radio and Electric Mart
Publisher: Prem Radio and Electric Mart

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Page 162
________________ लित हए थे। जब उन डाक्टरो के दातो की जाच की गयी तो ६५ प्रतिशत डाक्टरो के दातो मे कोई न कोई रोग पाया गया। यह तो स्वाभाविक ही है कि ये सब डाक्टर टूथपेस्ट से ही अपने दात साफ करते होगे।। - इसके विपरीत यह भी देखा गया है कि जो व्यक्ति दांतुन से या किसी देशी दन्त मजन से अपने दात साफ करते हैं, उनके दात अधिकाश मे नीरोग और मजबूत पाये गये हैं। ____ आज कल की बनी हुई औषधियो पर ये कुछ निष्कर्ष है जो हमने उदाहरण स्वरूप दिये है। यह सभी जानते हैं कि आधुनिक शरीर-विज्ञान की इतनी उन्नति होने पर भी रोगियों की संख्या में कोई कमी नही हो रही है, न जनसाधारण के स्वास्थ्य मे ही विशेष उन्नति हुई है। कुछ विशेष रोग अवश्य कम हुए है, परन्तु उनका स्थान नयेनये रोगो ने ले लिया है। इसका कारण यही है कि मनुष्य शरीर पर आधुनिक औषधियो की प्रतिक्रिया अनुकूल नहीं होती। वे एक रोग को कुछ समय के लिये अवश्य दबा देती हैं, (जड से नष्ट नही करती) परन्तु उसकी प्रतिक्रियास्वरूप कई नये-नये रोग शरीर मे पैदा हो जाते हैं। वास्तव मे आधुनिक औषधिया समय की कसौटी पर खरी नहीं उतर रही है। __ तथ्य तो यह है कि प्रकृति ने स्वय ही हमको रोगो से लडने की शक्ति दी है। परन्तु हम अपनी अज्ञानता और आधुनिकता के मोह के कारण उस प्राकृतिक शक्ति को स्वय ही नष्ट कर रहे है। अधिक अच्छा यही होगा कि हमे दबाओ पर निर्भर न रह कर अधिकतर प्रकृति पर ही निर्भर रहना चाहिए।

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