Book Title: Mahavir aur Unki Ahimsa
Author(s): Prem Radio and Electric Mart
Publisher: Prem Radio and Electric Mart

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Page 160
________________ तरह-तरह की दवाइयों के रूप में और भी अधिक विष व गन्दगी पेट में भरते रहते हैं, जिसका परिणाम हम सबके सामने है । आपने यह अवश्य देखा होगा कि जो व्यक्ति प्रकृति के अनुकूल चलते हैं, वे अधिकाश मे स्वस्थ ही रहते हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति प्रकृति के प्रतिकूल चलते हैं और औषधियो पर निर्भर करते हैं, वे सदैव रोगी हो रहते हैं । वनो मे स्वच्छन्द व स्वतन्त्र विचरने वाले पशु-पक्षियो को किसी ने कदाचित् ही कभी बीमार देखा हो । वे अपनी प्रकृति के अनुकूल ही भोजन सेवन करते है । प्रथम तो वे कभी बीमार ही नही होते, यदि कोई बीमार हो भी जाता है तो वह भोजन छोड देता है, जिससे वह जल्दी ही ठीक हो जाता है। इसके विपरीत पालतू पशु-पक्षियो को अपना भोजन स्वय चुनने की स्वतन्त्रता नही होती, न वे खुली वायु मे विचरण ही कर सकते है । जिस प्रकार भी और जहा भी उनके स्वामी उनको रखते हैं, उन्हें रहना पडता है । फलस्वरूप वे रोगी होते दुए देखे जाते है | पिछले कुछ वर्षों से विटामिनो की बहुत चर्चा हो रही है । किसी भी रोगी को देख कर डाक्टर तुरन्त कह देते हैं कि इस रोगी को अमुक विटामिन की कमी है और फिर डाक्टर उस रोगी को कृत्रिम विटामिन की गोलिया सेवन कराते है । परन्तु आधुनिक अनुसन्धानो से पता चला है कि afer मात्रा मे कृत्रिम विटामिन सेवन करने से हानि की सम्भावना हो सकती है । हमे कृत्रिम विटामिन के बजाय विटामिनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। डाक्टर गर्भवती महिलाओ को शक्तिवर्द्धक औषधिया और कृत्रिम विटामिन सेवन कराते है । परन्तु आधुनिक १५८ 1

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