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पूर्ति के लिए तो हमें ऐसे कार्य लाचारी से करने ही पडते हैं और ऐसा करने मे हम अवश्य ही हिंसा के दोषी हो जाते है । परन्तु बिना प्रयोजन ऐसे कार्य करने से क्या लाभ ? इसलिए बिना प्रयोजन हमे ऐसे कोई भी कार्य नही करने चाहिए जिनमे हिंसा की सम्भावना हो ।
कुछ व्यक्ति यह शका करते है कि पृथ्वी, जल व वायु मे जीव नही होता । परन्तु यह उनका भ्रम है । जल की एक बूंद को यदि हम बहुत शक्तिशाली सूक्ष्म-वीक्षण यन्त्र (Microscope) से देखे तो हमे उसमे बहुत से चलते-फिरते जीव दिखाई दे जायेगे। इन यन्त्रो के द्वारा दिखाई देने वाले जीवो के अतिरिक्त भी जल मे अन्य अनेको बहुत ही सूक्ष्म जीव भी होते हैं । इसी प्रकार यदि हम तनिक सी गीली भूमि को भी ध्यानपूर्वक देखे तो उसमे हमे बहुत से बारीक-बारीक जीव चलते-फिरते दिखाई दे जायेंगे । यदि सूक्ष्म-वीक्षण यन्त्र से देखे तो उस भूमि मे और भी बहुत से सूक्ष्म जीव दिखाई दे जायेंगे। पृथ्वी, जल व वायु मे जीवन होने का हम एक और प्रमाण देते हैं । जो भूमि जीवन सहित होती है उसमे ही वनस्पति उत्पन्न हो सकती है । जीवन रहित भूमि मे कोई भी वनस्पति नही उग सकती। यदि किसी भूमि को जला दिया जाये, तो वहा पर चाहे कितना ही पानी दिया जाये उस भूमि पर उपज नही हो सकती । यदि हम उस भूमि पर जीवन सहित नई मिट्टी डाल दे, या हल चलाकर नीचे से जीवन सहित नई मिट्टी निकाल लें तो उसमे फिर उपज होने लगेगी । रेगिस्तान की रेत जीवन रहित होती है, उसमे कितना ही पानी सींचा जाये परन्तु उसमें उपज नही होती। इसी प्रकार पानी में भी जीवन होता है । साधारण पानी से