Book Title: Mahavir aur Unki Ahimsa
Author(s): Prem Radio and Electric Mart
Publisher: Prem Radio and Electric Mart

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Page 146
________________ है, यहा यह बता देना उपयोगी होगा कि प्रकृति ने शाकाहारी प्राणियों को लगभग १५ मीटर लम्बी आत प्रदान की है जबकि मासाहारियो की आत छोटी होती है। ___ एक बात और, जो व्यक्ति हृदयहीन होकर एक निर्बल और मूक पशु की गर्दन पर छुरी चलाता है, उसको तडपतडप कर मरते हुए देखता है, वह इतना निर्दयी हो जाता है कि वह मनुष्य को भी पशु से अधिक नहीं समझता और स्वार्थवश मनुष्य की हत्या करते हुए भी उसको कोई झिझक नही होती। इसी कारण मासाहार की अधिकता के साथ-साथ मनुष्यो की हत्याए भी बढती जा रही है। एक प्रश्न यह उठता है कि हम मासाहार क्यो करे ? जब हम अनाज, फल, सब्जी, मेवे उत्पन्न कर सकते हैं तब मासाहार का आधार ही क्या रह जाता है ? जिस प्रदेश मे अनाज का उत्पादन कम होता है या नहीं होता है, आज के युग मे वहा भी दूसरे स्थानो से बहुत आसानी से अनाज भेजा जा सकता है। फिर जहा पर अनाज प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होता है वहाँ का तो कहना ही क्या है। क्या हम केवल जिह्वा के स्वाद के लिए निर्बल व मूक प्राणियो की हत्या करते रहे ? परन्त मास स्वयमेव मे इतना स्वादिष्ट नही होता, उसमे स्वाद तो घी व मसालो द्वारा पैदा किया जाता है। अतएव हम शाकाहार को भी बहुत अधिक स्वादिष्ट बना सकते है। फिर समझ मे नही आता कि मासाहार करने मे क्या तुक व अच्छाई है ? इस पुस्तक के अन्त मे हम विभिन्न पदार्थों के पौष्टिक तत्वों का तुलनात्मक चार्ट दे रहे हैं, जिससे तत्काल पता चल जाता है कि अनाज, फल व मेवे आदि मास, मछली व अण्डो से कितने अधिक शक्तिवर्द्धक व गुणकारी हैं।

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