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जाता है । जलाने से वह लकडी धुए, कोयला, राख, गमा आदि में परिवर्तित हो जाती है परन्तु उसके परमाणु किसी न किसी रूप मे सदैव ही विद्यमान रहते हैं। आज यह सिद्धान्त विज्ञान को भी मान्य है।
(२) भगवान महावीर ने बतलाया था कि यह ससार अनादि व अनन्त है। न इसकी किसी समय उत्पत्ति हुई
और न इसका कभी विनाश होगा। आज बहुत से वैज्ञानिक इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं । वस्तुत वैज्ञानिक अभी तक निश्चित रूप से यह नहीं जानते कि ससार की उत्पत्ति कब और कैसे हुई । जैसे-जैसे वैज्ञानिक अन्तरिक्ष मे नई-नई खोजे कर रहे है और इनके फलस्वरूप नये-नये तथ्य प्रकाश मे आ रहे हैं, वैज्ञानिक इस ससार की उत्पत्ति और इसकी आयु के सम्बन्ध मे अपनी पुरानी धारणाओ को छोडते जा रहे हैं।
(३) भगवान महावीर ने कहा था इस ससार मे अनन्तानन्त जीव भरे हुए हैं । आज विज्ञान भी यह मानता
(४) भगवान महावीर ने बतलाया था कि वनस्पति मे भी जीवन और चेतना होती है । आज विज्ञान भी यह -तथ्य स्वीकार करता है।
(५) भगवान महावीर ने आत्मा के अस्तित्व और पुनर्जन्म का सिद्धान्त ससार को दिया था। यद्यपि विज्ञान ने इस तथ्य को शत प्रतिशत मान्यता तो नहीं दी है परन्तु उसने इस सिद्धान्त का खडन भी नही किया है । पश्चिमी देशो के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक इस सम्बन्ध में अनुसधान कर रहे हैं, और वहा पर इस सम्बन्ध मे बहुत सा साहित्य भी प्रकाशित हो चुका है और हो रहा है । आज