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37. वि.सं.- 1892 का भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी का जिनालय है । 38. वि.सं.- 1876 में निर्मित भगवान चन्द्रप्रभु जिनालय जिसमें लगभग 8 फीट ऊँची भगवान चन्द्रप्रभु की मनोहारी खड़गासन प्रतिमा विराजमान है। तीन छत्र सिर के ऊपर व आभामंडल भी बना है । शीर्ष के दोनों ओर गज बने हुए हैं । बायीं ओर भगवान का यक्ष कापोत पर आसीन है । दायीं ओर ज्वालामालिनी यक्षी है, जिसकी आठ भुजायें हैं ।
39. वि.सं.- 1865 में स्थापित श्री चन्द्रप्रभु जिनालय जिसमें भगवान चन्द्रप्रभु की लगभग 10 फीट ऊँची पाषाण निर्मित खड़गासन मुद्रा में प्रतिमा विराजमान है । शेष वर्णन उपरोक्त जैसा ही है ।
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40. संवत् 1890 निर्मित श्री नेमिनाथ जिनालय में 3 फीट 4 इंच ऊँची पदमासन प्रतिमा विराजमान हैं 1
41. प्राचीन पदमासन मुद्रा में भगवान चन्द्रप्रभु की जिन-प्रतिमा विराजमान है । जिस पर प्रशस्ति अंकित नहीं है ।
42. संवत् 1883 निर्मित श्री ऋषभदेव जिनालय |
43. संवत् 1902 निर्मित श्री नेमिनाथ जिनालय |
44. से 68. यह चौबीसी जिन मंदिर है जिसके मध्य में स्थित जिनालय में भगवान चन्द्रप्रभु की लगभग 9 फीट अवगाहना खड़गासन मुद्रा में अतिमनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है । यह प्रतिमा संवत् 1840 की है। इसके चारों ओर 24 जिन मंदिर बने हैं, विशेष बात यह है कि चौबीसों जिन मंदिरों की पृथक-पृथक परिक्रमा की जा सकती है। किन्तु इस चौबीसी में सभी 24 तीर्थंकर भगवंतों की प्रतिमायें न होकर आठ जिनालयों में भगवान पार्श्वनाथ की, 4-4 जिनालयों में भगवान आदिनाथ व चन्द्रप्रभु की, तीन जिनालयों में भगवान नेमिनाथ की, दो में भगवान सुपार्श्वनाथ की व एक में भगवान अरहनाथ जी की प्रतिमा स्थापित हैं। एक-एक जिनालयों में भगवान वासुपूज्य व मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमायें विराजमान हैं। सभी 24 प्रतिमायें पदमासन मुद्रा में आसीन हैं ।
69. श्री चन्द्रप्रभु जिनालय संवत् 1955 में निर्मित श्वेत वर्ण की भगवान चन्द्रप्रभु की पदमासन मूर्ति विराजमान है ।
70. सहस्त्रफणी श्री पार्श्वनाथ जिनालय - सं. 1893 में निर्मित इस जिनालय में मध्य में कृष्णवर्ण की 25 फण सहित भगवान पार्श्वनाथ की अतिमनोज्ञ प्रतिमा विराजमान हैं। दोनों ओर श्वेत संगमरमर से निर्मित भगवान ऋषभदेव की प्रतिमायें विराजमान हैं ।
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71. श्री पार्श्वनाथ जिनालय सं. 1883 । इस जिनालय में 4 फीट ऊँची भगवान पार्श्वनाथ की कृष्णवर्ण पदमासन प्रतिमा विराजमान है ।
72. श्री पार्श्वनाथ जिनालय सं. 1897 । इस जिनालय में 3 फीट ऊँची श्वेत पाषाण की पदमासन प्रतिमा विराजमान है ।
22 ■ मध्य-भारत के जैन तीर्थ