Book Title: Madhya Bharat Ke Jain Tirth
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 216
________________ को समझने के लिए विशिष्ट बोधिदायक ग्रंथ है। इसमें एक-एक शब्द के अनेक अर्थों को बताने के साथ, शब्द बनाने की प्रक्रिया को भी समझाया गया है। गणित और गणितज्ञ 300रु. प्रो. लक्ष्मी चन्द्र जैन इस पुस्तक में गणित की महत्वपूर्ण तिथियों आकृतियों एवं संदृष्टिओं के विवरण के साथ इतिहास में भारतीय गणितज्ञों का स्थान, भारतीय लोकोत्तर गणित, गणित के मूल आधार और संरचनाओं के विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है। साथ ही विश्व के महान गणितज्ञों के जीवन वृत्तान्त भी उपलब्ध हैं। योग साधना रहस्य आचार्य अशोक सहजानन्द 300 5. योग साधना पर हजारों पुस्तकें हैं पर यह ग्रंथ लीक से हटकर योग-साधना के गूढतम रहस्यों से आपका परिचय कराता है। जो आपको मानसिक रूप से तो स्वस्थ बनायेगा ही इसके अतिरिक्त आपकी पारलौकिक यात्रा में भी मार्गदर्शक बनेगा। एक विशिष्ट उपहार, गागर में सागर । संस्कृत - प्राकृत का समानांतर अध्ययन 200 डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव इस कृति में प्राकृत- संस्कृत के समानान्तर तत्वों का सांगोपांग अध्ययन है। प्राकृत वाङ्मय में प्राप्त उन सारस्वत तत्वों की ओर संकेत है, जिनसे संस्कृत वाङ्मय के समानांतर अध्ययन में तात्विक सहयोग की सुलभता सहज संभव है। श्री स्वरोदय सं. आचार्य अशोक सहजानन्द 150 रु. श्री कल्पादि जैनागमों में अष्टांग निमित्त में स्वर को प्रधान अंग माना गया है। स्वरोदय ज्ञान के अभाव में ज्योतिषी भी लंगडा है। श्वास की परख कर ही ज्योतिषी सही समाधान दे सकता है। श्री स्वरोदय स्वर शास्त्र की एक दुर्लभ कृति है। इसे प्रथम बार सुंसंपादित कर उपलब्ध कराया गया है। ज्ञान प्रदीपिका ( प्रश्न - ज्योतिष ) सं. आचार्य अशोक सहजानन्द 150 रु. ज्ञान प्रदीपिका प्रश्न ज्योतिष का एक प्राचीन दुर्लभ ग्रंथ है। इसे सुसंपादित कर प्रथम बार प्रकाशित किया गया है। जैन ज्योतिष से संबद्ध शोधपूर्ण मौलिक सामग्री के संकलन ने इस ग्रंथ को अभूतपूर्व बना दिया है।

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