Book Title: Madhya Bharat Ke Jain Tirth
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 217
________________ अन्य पठनीय एवं संग्रहणीय प्रकाशन 1 Gems of Jaina Wisdom (8-Vols) Set Rs. 4000/2 TilloyaPannati(3Vols) Ach Yati Brishabha Rs.3000/World Ethnology from 6000 B.C. G-Jayasene Rs.400/Real Wisdom Ach. Ashok Sahajanand Rs.400/Ancient Republics of Bharat Dr. R.C. Jain Rs.450/6. Ancient Geography of Ayodhya Dr-SN.Pande Rs.200/7. Meru Temples of Angkor Dr.J.D.Jain Rs.200/& Jaina Way of Life . Dr. P.K. Jain Rs.350/9. Jaina &Hindu Logic Dr. P.K. Jain Rs.400/10. Prominent Jaia Eulogies Dasrath Jain Rs.600/11. Jaina Astronomy Dr.S.S. Lishk Rs.400/12. Tao of Jaina Sciences Pro.L.C.Jain Rs.500/13. The Ultimate Destination G.Anandini Rs.150/14. Astrological Talks Dr.S.S. Lishk Rs.80/15. Seevets of face reading Dr S.S. Lishk Rs.80/16. Introduction to Mythology L.Spence Rs.400/17. ज्योतिष कौमुदी (नक्षत्र खंड) पं. दुर्गाप्रसाद शुक्ल 200/18. द्वादश भाव रहस्य पं. दुर्गाप्रसाद शुक्ल 160/19. रल प्रश्नोत्तरी पं. दुर्गाप्रसाद शुक्ल 150/20. आपका हाथ-आपका सच्चा मित्र पं. दुर्गाप्रसाद शुक्ल 250/21. ग्रह शांति दीपिका आचार्य अशोक सहजानन्द 200/22. सुखी और समृद्ध जीवन आचार्य अशोक सहजानन्द 200/23. सिद्ध मंत्र संग्रह आचार्य अशोक सहजानन्द 200/24. सिद्ध तंत्र संग्रह आचार्य अशोक सहजानन्द 300/25. सिद्ध यंत्र संग्रह आचार्य अशोक सहजानन्द 300/26. वास्तुदोष : आध्यात्मिक उपचार आचार्य अशोक सहजानन्द 300/27. अदृश्य रहस्यों की कुंजी आचार्य अशोक सहजानन्द 200/28. स्वरयोग : एक दिव्य साधना आचार्य अशोक सहजानन्द 200/29. पद्मावती साधना और सिद्धि आचार्य अशोक सहजानन्द 200/30. श्री मणिभद्र साधना (घंटाकर्ण कल्प सहित) आचार्य अशोक सहजानन्द 200/31. महामंत्र णमोकार : वैज्ञानिक अन्वेषण डॉ. रवीन्द्र कुमार जैन -100/32. अहिंसा और विश्व शांति डॉ. रवीन्द्र कुमार जैन 50/33. सप्तसंधान महाकाव्य : समीक्षात्मक अध्ययन डॉ. श्रेयांस कुमार 150/34. नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन डॉ. अनिरूद्ध शर्मा 350/35. आत्मा का वैभव दर्शन लाड़ 100/जिनसहस्त्रनाम कल्प कुसुम जैन 20/37. इतिहास के अनावृत पृष्ठ आचार्य सुशील कुमार 20/38. जैन गीता आचार्य विद्यासागर 20/39. पुण्य विवेचन पं. रतन चंद्र मुख्यार 100/40. त्रिषष्ठि शलाकापुरुष चरितम् (मूल संस्कृत) 650/

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