Book Title: Madhya Bharat Ke Jain Tirth
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 193
________________ जिसमें वालुका प्रस्तर पर भगवान शान्तिनाथ, कुंथनाथ व अरहनाथ की प्रतिमायें स्थित हैं। वेदिका पर विराजमान प्रतिमाओं के दर्शन कर हृदय की कली-कली खिल जाती है। नीचे पृथ्वीतल पर भी नवनिर्मित कला से परिपूर्ण दो भव्य शिखरबंद जिनालय बने हये हैं। 8. तीस चौबीसी जिनालय- यह भव्य व चित्ताकर्षक जिनालय ग्यारह शिखरों वाला है व अपने आप में अनूठा है। इस जिनालय का निर्माण आर्यिका शिरोमणी श्री ज्ञानमति माता की प्रेरणा से हुआ। इस जिनालय में दायीं व बाईं ओर 10 कमलाकार विशाल रचनायें हैं। इन कमलाकार रचनाओं में से प्रत्येक पर तीन स्तरों में (नीच, मध्य व ऊपर) कमल पंखुड़ियों पर 24-24 तीर्थंकर प्रतिमायें विराजमान हैं जो भूत, भविष्यत व वर्तमान चौबीस तीर्थंकरों की प्रतीक हैं। इस तरह 10 कमलाकार आकृतियों पर कुल 720 जिनबिम्ब विराजमान है। 10 कमलाकार आकृतियां ढाई द्वीप के पांच भरत, पांच ऐरावत, कुल दस क्षेत्रों की तीनों कालों की चौबीसियों के प्रतीक हैं। पांच कमल बायीं व पांच कमल दायीं ओर बनाये गये हैं। दोनों के मध्य में सामने की दीवाल पर अतिमनोज्ञ 13 फीट 6 इंच ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में काले पाषाण से निर्मित नाग देवता व फणावली युक्त भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा को विराजमान किया गया है। जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। मेरी दृष्टि में देश में अन्यत्र कहीं भी इतना भव्य, आकर्षक, कलापूर्ण व मनोज्ञ जिनालय नहीं है। 8. भगवान पार्श्वनाथ (पद्मावती-धरणेन्द्र) जिनालय- इस भव्य जिनालय का उद्घाटन 2007 में गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माता जी के सान्निध्य में संपन्न हुआ था। इस जिनालय में प्रवेशद्वार के ठीक सामने 6 फीट ऊँची भव्य व मनोहारी पद्मासन में व काले पाषाण से निर्मित फणावली युक्त भगवान श्री पार्श्वनाथ की अतिमनोज्ञ प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा के दोनों पार्श्व भागों में मां पद्मावती देवी व धरणेन्द्र की अति सुंदर प्रतिमायें विराजमान हैं। मां पद्मावती व धरणेन्द्र की इतनी विशाल प्रतिमायें अन्यत्र बहुत कम हैं। रामनगर स्थित अन्य जिनालय इस प्रकार हैं- ज्ञान मंदिर जी- अहिच्छेत्र तीर्थ स्थान के मुख्य गेट से सड़क पार ज्ञान मंदिर परिसर स्थित है। इस परिसर में दो जिन मंदिर स्थित है। परिसर में एक प्राचीन व एक नवनिर्मित जिनालय है। प्रथम जिनालय अंदर की ओर स्थित है। इस जिनालय में मूलनायक के रूप में 1.5 फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान है। वेदिका पर लगभग एक दर्जन से अधिक जिनबिम्ब भी विराजमान है। एक नवनिर्मित विशाल जिनालय में जो ज्ञान मंदिर के प्रवेश द्वार के नजदीक है। भगवान श्री पार्श्वनाथ की 11.5 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया गया है। परिसर में धर्मशाला व छात्रनिवास भी है। गांव का मंदिर-क्षेत्र से लगभग 500 मीटर की दूरी पर गांव में एक भव्य 192 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ

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