Book Title: Madhya Bharat Ke Jain Tirth
Author(s): Prakashchandra Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 196
________________ 4. बायें कोने पर इस चौथी वेदिका पर कलापूर्ण लगभग 3 फीट ऊँचाई की पद्मासन मुद्रा में भगवान श्री पार्श्वनाथ की मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है। इसी वेदिका पर 6 अन्य जिनबिम्ब प्रतिष्ठापित हैं; जो इसी सिद्धक्षेत्र से मोक्षगति की प्राप्त हुये 6 मुनिराजों के हैं। दर्शन कर श्रद्धालु अपने आपको धन्य अनुभव करता है। 5. चन्द्रप्रभू वेदिका- यह वेदिका भी एक विशाल आले के रूप में दिखाई पड़ती है। इस वेदिका में प्रतिष्ठापित सभी तीर्थंकर प्रतिमायें धातु से निर्मित हैं। इस वेदिका पर विराजी मूर्तियों में सबसे बड़ी मूर्ति अष्टम तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु भगवान की है। ये अधिकांश प्रतिमायें काफी प्राचीन तथा ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें से अधिकांश के पादमूल में प्रशस्तियां भी अंकित हैं। अधिकांश प्रतिमायें पद्मासन मुद्रा में स्थित है। प्रतिमायें 1 फीट अवगाहना व उनसे छोटी हैं। __6. पार्श्वनाथ वेदिका- यह वेदिका प्रथम वेदिका के ठीक पीछे स्थित है। इस वेदिका पर विराजमान तीनों प्रतिमायें तेईसवें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ की है। सबसे प्राचीन प्रतिमा जिस पर सं. 189 अंकित है, वेदिका के मध्य भाग में विराजमान है। इस वेदिका को अतिशयकारी कहा जाता है। इस वेदिका पर विराजमान तीर्थंकरों भगवंतों की आराधना से श्रद्धालुओं की मनोकामनायें अनायास की पूर्ण होती देखी गईं हैं। इस वेदिका पर विराजमान तीनों प्रतिमायें पद्मासन वीतरागी मुद्रा में हैं, व सभी मूर्तियों की अवगाहना लगभग समान (1.5 फीट) है। 7. इस वेदिका पर तीन प्रमुख प्रतिमायें विराजमान है। कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान श्री नेमिनाथ की प्रतिमा तथा पद्मासन मुद्रा में भगवान पार्श्वनाथ व श्री पदमप्रभु की प्रतिमायें विराजमान हैं। वेदिका पर कुछ अन्य छोटी-छोटी प्रतिमायें भी विराजमान हैं ____8. महावीर वेदिका- दायीं ओर के कोने में स्थापित इस वेदिका पर 3 फीट ऊँची अतिमनोज्ञ पद्मासन मुद्रा में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा विराजमान हैं। चेहरे पर वीतरागता के भाव साफ परिलक्षित होते हैं। वेदिका पर 6 से अधिक अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमायें भी विराजमान है। 9. इस विशाल जिनालय की अंतिम वेदिका पर भगवान श्री जंबूस्वामी की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में विराजमान हैं। यह प्रतिमा भी 2.5 फीट ऊँची सफेद संगमरमर से निर्मित है। यह वेदिका भगवान बाहुबली स्वामी की वेदी के ठीक सामने स्थित है। 10. चौबीसी जिनालय- जिनालय के निम्न तल पर तीन ओर एक भव्य व आकर्षक चौबीसी का निर्माण किया गया है। इस तल पर कुल 25 वेदिकायें हैं; मध्य-भारत के जैन तीर्व- 195

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