Book Title: Madan Dhandev Charitra
Author(s): Tirthbhadravijay
Publisher: Shraman Seva Religious Trust

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Page 133
________________ 122 सिरिसोमप्पहायरियविरहा मे इमीए घरिणीए घरवासो संभाविजइ। जेट्टेण वुत्तं-किमन्नं कन्नगं परिणावेमि? इयरेण भणियं-एवं करेसु। तओ जेद्वेण विसिट्ठ-वाणियगं मग्गिऊण परिणाविओ धणदेवो दुइय-दइयं। भवियव्वयावसेण सा वि तहाविहा चेव। न चित्त-संतोस-निबंधणं धणदेवस्स। तेणेगया भारिया-चरियं पलोइउकामेण कवडेण भणियाओ भजाओ, जहा- सन्नेह सेग्नं, सीयज्जर-बाहिन्जमाणो न तरामि ठाउं । तओ पगुणीकया सेना । नुवन्नो धणदेवो। खित्ताणि उवरिं पउरपावरणाई। अह अत्थमुवगओ गयणमणी। ओत्थरिया समग्गदोसपच्छायणी रयणी। घोर-सह-पयडिय-कवड-निहो धणदेवो जाव चिट्ठइ ताव जिट्ठाए भणिया इयरी-हले! सिग्धं पगुणीहोसु । तओ तुरियं कय-गेहकिच्चा पगुणीहूया सा। अह गेहाओ निग्गंतूण गयाओ दो वि घरुजाणे। आरूढाओ महंतं सहयार-पायवं। पवत्ताओ मंत-सुमरणं काउं। धणदेवो वि सणिय-सणियं तयणुमग्ग-लग्गो निग्गंतूण तम्मि चेव चूय-पायवे उत्तरिजेण अप्पाणं बंधिऊण थुड-विलग्गो ठिओ। खणेण य अचिंत-सामत्थयाए मंत-माहप्पस्स पयट्टो गयणेण गंतुं चूय-तरू। लंघिऊण अणेगतिमि-मगर-गाह-रउबं समुई पत्तो रयणदीवावयंसभूयं पभूय-रयणखंड-मंडियपसंडि-पासाय-सयसहस्स-सोहियं रयणपुरं नाम नयरं। तरूण-जण-समूहो जम्मि रूवाभिरामो, वियरइ पडिवन्नाणेगमुत्ति व्व कामो। अवि अमुणिय-विजो जत्थ विजाहराणं, कुणइ जुवइ-वग्गो दंसणेणावि थंभं तत्थ परिसरे ठिओ महीए चुय-डुमो। मुत्तुण तं दूरीभूओ धणदेवो। तब्भज्जाओ अवयरिऊण पविट्ठाओ नयरं, तयणुमग्ग-लग्गो धणदेवो वि।। ___ इओ य तत्थ सिरिपुंजो सेट्टी, तस्स चउण्ह पुत्ताणमुवरि वर-व-लावन्नेहिं तेलोक्क-तिलयभूया सिरिमई धूया। दिना य सा वसुदत्त सत्थवाहपुत्तस्स। तम्मि समए य पयट्टो महया रिद्धि-वित्थरेण विवाह-महूसवो। विविह-नेवच्छ-सच्छायदेहच्छवीओ फुरंत-रयणालंकार-किरण-कडप्प-कप्पिय-सुरिंद-सरासणाओ नचंति ॥५५॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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