Book Title: Madan Dhandev Charitra
Author(s): Tirthbhadravijay
Publisher: Shraman Seva Religious Trust
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सिरिसोमप्पहायरियविरहा
110011
||७१॥
कयाइ सुविणिंदयाल-विब्भमत्तणओ जीवलोयस्स परलोयमग्गमोगाढे सिरिपुंजम्मि भाउजायाण अणक्खरं किं पि सोऊण सोयभर-गग्गिर-गिराए भणिओ सिरिमईए धणदेवो-अनउत्त!
तिविहा हुंति मणुस्सा उत्तिम-मज्झिम-जहन्नया लोए। कित्तिजंता पिइ-माइ-भजनामेहिं जहसंखं
॥६९।। जइ वि तुमं गुणवंतो कलासु कुसलो धणजण-समत्थो। तह वि सिरिपुंज-जामाउगो ति गिजसि जणेणित्थ तत्तो जइ उत्तम-पुरिस-मग्गमोगाहिउं तुहं वंछा। ता जम्मभूमिमणुसरसु नाह ! भणिएण किं बहुणा ? तो धणदेवेण वुत्तं एयमहमवि मुणामि किंतु महं। ते भजिया-छमक्का अन्ज वि हियए चमक्कंति
॥७२॥ तीए वुत्तं-अनउत्त! केरिसा ते भजिया-छमक्का? तओतेण सिट्टो सव्वो वि नियकलत्त-वुत्तंतो। ईसि हसिऊण तीए वुत्तं केत्तियमेत्तमेयं ? । दावेसु निय-दइयाओ, जेण जाणामि तासिं सामत्थं । तव्वयणावलंबिय-साहसो धणदेवो वित्थिन्नमत्थजायं घेतूण सिरिमईए समं समुई लंधिऊण संपत्तो हसंतीए। दीणाणाहाण वियरंतो दाणं कुंजरो व्व पविट्ठो स-भवणं । तओ अहो! तहाविहावत्थगओ वि समागओ! त्ति सविम्हयाहिं अब्भुढिओ भजाहिं। कय-मंगलोवयारो निविट्ठो आसणे। जेट्ठा-वयणेण पक्खालिया लहुईए धणदेव-चलणा। चलण-पक्खालण-जलं च जेट्टाए गहिऊण तह कहं पि अच्छोडियं धरणि-वढे अचिंत-मंत-माहप्पेण जह पवड्डिउमाढत्तं। तओ धणदेवेणं भउब्भंत-लोयणेणं पलोइयं सिरिमईए मुहं । तीए वि वुत्तं-मा भाहि।
सलिलं पि तं कमेणं पवड्डियं तह कहं पि गेहम्मि। जह बुड्डा चलणा तयणु जाणुणो कड़ियडं तत्तो
॥७३॥
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