Book Title: Lipi Vikas
Author(s): Rammurti Mehrotra
Publisher: Sahitya Ratna Bhandar

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विदेशी पण्डितों की इन दोनों कल्पनाओं का कि ब्राह्मी लिपि फिनिशियन लिपि से निकली है अथवा उसमें खारोष्ट्री का प्रभाव रहा है इस पुस्तक में बड़ी विद्वत्ता के साथ निराकरण किया गया है। ___ मेहरोत्राजी ने ब्राह्मी लिपि से देवनागरी तथा भारत की विभिन्न लिपियों के विकास का जो क्रम दिखाया है वह आजकल भाषा के आन्दोलन की दृष्टि से बहुत उपयोगी है। उसके अध्ययन से भारतीय लिपियों की पारवारिक एकता और सौन्दर्य, व्यापकता और त्वरा लेखन की दृष्टि से देवनागरी अक्षरों की श्रेष्ठता पर अच्छा प्रकाश पड़ता है। लेखक ने रोमन लिपि की तुलना में भी देवनागरी की श्रेष्ठता प्रमाणित की है। हिन्दी में जिन ध्वनियों की कमियाँ हैं और जो लिपि-चिह्न भ्रामक हैं उनकी ओर संकेत कर लेखक ने यह प्रमाणित कर दिया है कि वह देवनागरी लिपि का अन्धभक्त नहीं है। इस विषय पर श्रद्धेय ओझाजी की जो विशद और प्रामाणिक पुस्तक है वह विद्यार्थियों की पहुँच से बाहर है। यह पुस्तक विद्यार्थियों को इस विषय का आवश्यक ज्ञान करा सकेगी और आशा है, भाषा-विज्ञान के साहित्य में अपना उचित स्थान प्राप्त करेगी। सेन्टजान्स कालेज, आगरा जन्माष्टमी, २००२ हरिहरनाथ टंडन एम. ए. अध्यक्ष-हिन्दी-विभाग For Private And Personal Use Only

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