Book Title: Kya Mrutyu Abhishap Hai
Author(s): Parmatmaprakash Bharilla
Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust

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Page 7
________________ अमर हो जावें; हम तो मात्र स्वयं ही अमर होना चाहते हैं? ___ अरे, भाई ! एक तो ऐसा संभव नहीं है; क्योंकि जब आप अमर हो जावेंगे तो अन्य लोग क्यों नहीं? जिस उपाय से आप अमर होंगे; उसी उपाय से अन्य लोगों को अमर होने से कैसे रोकेंगे और वे रुकेंगे भी क्यों? क्योंकि आपके समान ही सभी को अमर होने की तीव्र इच्छा है। ___यदि ऐसा हो भी गया तो आपकी स्थिति क्या होगी? कभी इसकी भी कल्पना की है आपने? ___आपके पुत्र-पुत्रियों, नाती-पोते, उनके भी बच्चे और उनके भी बच्चों के बच्चे - सभी आपके सामने ही काल के मुख में जाते रहेंगे और आपको ही उन्हें कंधा देना होगा। क्या यह सब सहन कर सकेंगे आप? ____पीढ़ियों के अन्तर (जनरेशन गेप) की समस्या का भी सामना करना होगा। जब आज दादा और पोते के विचारों में, रहन-सहन में, वस्त्रादि में आये अन्तर को भी समायोजित करना कठिन हो गया है; तब फिर अनेकानेक पीढ़ियों के अन्तर का क्या होगा? एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि लोग आपको चिड़ियाघर के एक पिंजरे में कैद करदें और आप एक पुरातत्त्वीय वस्तु बन कर रह जावें। जन्म-मरण की अत्यन्त व्यवस्थित वस्तुव्यवस्था में किसी भी प्रकार परिवर्तन संभव नहीं है और न इसप्रकार का कोई परिवर्तन हमारे हित में ही हैं; क्योंकि मृत्यु सड़ी-गली देह से मुक्त होने और एकदम नई स्वस्थ देह को प्राप्त करने का एकमात्र अवसर है। __जिसप्रकार हम जर्जर जीर्ण-शीर्ण पुराने मकान को छोड़कर, आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त नये मकान में खुशी-खुशी जाते हैं; फटे-पुराने कपड़े उतारकर, एकदम नये कपड़े पहिनना पसन्द करते हैं; उसीप्रकार हमें इस जीर्ण-शीर्ण फटी पुरानी देह को छोड़कर, नई-नवेली देह में जाने के लिये खुशी-खुशी तैयार रहना चाहिये। यदि हम ऐसा कर सकें तो हमारी यह मृत्यु महोत्सव हो जायेगी। - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/५

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