Book Title: Kya Mrutyu Abhishap Hai Author(s): Parmatmaprakash Bharilla Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय (पंचम संस्करण) __ आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस कृति के तेरह हजार प्रतियों के चार संस्करण 6 वर्ष में ही समाप्त हो गये। अत: अब यह एक हजार प्रतियों का पंचम संस्करण आपके हाथों में है। प्रकाशन से पूर्व जब यह कृति मेरे हाथ लगी तो मैंने इसके एक-दो पृष्ठ पलट कर देखे और मैं इसे पूरी पढ़ गया। यह पाठकों को भावनाओं में बांधे रखने में समर्थ है और मुझे विश्वास है कि जो लोग धर्मक्षेत्र से दूर हैं, उन पाठकों को त्रैकालिक परमसत्य धर्म को जानने के लिए प्रेरित करेगी। __पुराने विषय को नये रूप में प्रस्तुत करनेवाली यह कृति समाधिमरण की प्रेरक कृति है। संसारावस्था में मरण तो सुनिश्चित ही है, यदि मृत्यु का वास्तविक स्वरूप हमारी समझ में आ जाय तो हम समताभावपूर्वक देह त्यागने के लिए स्वयं को तैयार कर सकते हैं। ____ आज का समाज धर्म को विज्ञान की कसौटी पर कसने के आग्रह से त्रस्त है और धर्म और विज्ञान संबंधी आलेख भी हमें तत्संबंधित हीन भावना से मुक्त करनेवाला है। इस कृति की जो प्रति मुझे पढ़ने को मिली थी, उसमें लेखक का नाम नहीं था। कृति की उपादेयता प्रतीत होने से मुझे लेखक का नाम जानने की तीव्र जिज्ञासा हुई और मैंने डॉ. भारिल्ल से कहा कि यह कृति आपकी तो है नहीं; क्योंकि मैं आपकी भाषा और प्रतिपादन शैली से भलीभांति परिचित हूँ। ____ तब डॉ. भारिल्ल ने बताया कि यह निबंध चि. परमात्मप्रकाश ने लिखे हैं और इन्हें डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल चैरिटेबल ट्रस्ट छपा रहा है।। तब मैंने तत्काल कहा कि इसे अपन पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट से ही क्यों न छपायें ? मुझे प्रसन्नता है कि उन्होंने सहजभाव से स्वीकृति प्रदान कर दी। हमारे अनुरोध पर उन्होंने छोटी सी प्रस्तावना भी लिख दी है। तदर्थ हम लेखक के साथ-साथ उनके भी आभारी हैं। प्रस्तुति कृति को आकर्षक कलेवर एवं सुन्दर मुद्रण व्यवस्था के लिए श्री अखिल बंसल को भी धन्यवाद देते हैं। -ब्र. यशपाल जैन प्रकाशनमंत्री : पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुरPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 64