Book Title: Kya Mrutyu Abhishap Hai Author(s): Parmatmaprakash Bharilla Publisher: Pandit Todarmal Smarak TrustPage 50
________________ इलाज भी करवाने को तैयार हो जावेंगे; क्योंकि वह विश्व में आंख का सबसे बड़ा डॉक्टर है। तब फिर हम आत्मा के बारे में ऐसा कैसे कर सकते हैं ? मैं आपसे एक साधारण सा सवाल पूछता हूँ - आप उस व्यक्ति की कितनी इज्जत करेंगे, उस पर कितना भरोसा करेंगे; जो कभी कुछ कहे व कभी कुछ, वह भी अपने ही पूर्वापर (आगे-पीछे के) कथन से सर्वथा विपरीत; जो अपनी बातों से बार-बार फिर जावे, बदल जावे। . । बिल्कुल भी नहीं न ? तब फिर क्यों विज्ञान पर फिदा हुए जा रहे हैं? वह भी तो ऐसा ही है। कभी कुछ कहता है, कभी कुछ। आज कुछ और कहता है कल कुछ और। अरे, आज ही, एक ही दिन एक वैज्ञानिक कुछ कहता है, दूसरा कुछ और।। आज सारा जमाना विज्ञान के लिए समर्पित है, विज्ञान के पीछे पागल हुआ जा रहा है। सरकारें विज्ञान की शोध-खोज के पीछे अरबोंखरबों रुपया खर्च करती हैं। समस्त मानव समाज का सबसे अधिक शिक्षित व बुद्धिमान वर्ग विज्ञान के अध्ययन में जुट जाता है व अन्य सभी उनके सहयोगी बन जाते हैं। वह अत्यन्त मेधावी व्यक्ति अपने सारे जीवन की साधना व तपस्या, सम्पूर्ण समर्पण व अनन्त धनराशि खर्च करने के बाद एक निष्कर्ष पर पहुँचकर घोषणा करता है कि अब तक हम जो मानते आये हैं, वह सही नहीं था, सत्य तो यह है, जो मैं आज बता रहा हूँ। और हम वाह-वाह करने लगते हैं, उसके कायल हो जाते हैं। ____ अगले ही दिन कोई अन्य वैज्ञानिक फिर घोषणा करता है कि सत्य तो वह भी नहीं था, जो कल बताया गया था। वह तो गलत साबित हो गया है। आज का सत्य तो यह है, और हम एक बार फिर अभिभूत हो जाते हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि इस बात की भी क्या गारंटी है कि आज जो कहा जा रहा है, वह भी अन्तिम सत्य है। - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/४८Page Navigation
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