Book Title: Kya Mrutyu Abhishap Hai
Author(s): Parmatmaprakash Bharilla
Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust

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Page 6
________________ प्रस्तावना यद्यपि मृत्यु एक ऐसा तथ्य है कि जिससे न तो बचा ही जा सकता है और न उसे टाला ही जा सकता है; क्योंकि प्रत्येक देहधारी की देह का वियोग अपने सुनिश्चित समय पर होता ही है; तथापि प्रत्येक प्राणी सबकुछ दाव पर लगाकर भी उससे बचने या कुछ समय को ही सही उसे टालने के प्रयास में निरन्तर प्रयत्नशील रहता है। यद्यपि लोक के इसप्रकार के प्रयास अभी तक तो सफल हुये नहीं और न कभी होंगे ही; तथापि हम एक बार इस बात पर भी गंभीरता से विचार कर के देख लें कि यदि ये प्रयास सफल हो गये होते तो क्या होता या कभी भविष्य में इसप्रकार के प्रयास सफल हो गये तो क्या होगा? जन्म और मरण के समानुपात के कारण ही जनसंख्या नियंत्रित रहती है। जन्म और मृत्यु का समानुपात बिगड़ जाने से निरन्तर वृद्धिंगत जनसंख्या आज की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है और सम्पूर्ण विश्व में जन्मदर को नियंत्रित करने के अथक् प्रयास हो रहे हैं; फिर भी स्थिति नियंत्रण में नहीं है। ___ यदि मृत्यु पूर्णतः समाप्त हो गई तो फिर जन्म को भी पूरी तरह रोकना अनिवार्य हो जावेगा। ऐसी स्थिति में विकास पूर्णतः अवरुद्ध हो जावेगा। ___ कल्पना कीजिए कि जनसंख्या नियंत्रण के लिये हम पचास वर्ष तक किसी को जन्म लेने ही न दें तो फिर एक दिन ऐसा आ जायेगा कि पचास वर्ष की उम्र से कम उम्र का कोई व्यक्ति रहेगा ही नहीं, सर्वत्र वृद्ध लोग ही दृष्टिंगत होंगे। ऐसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति जवान रहेगा ही नहीं तो फिर किसी का जन्म लेना भी संभव नहीं रहेगा। __ क्या आप ऐसी स्थिति के लिये तैयार हैं? नहीं, तो फिर मृत्यु से क्यों भागते हैं, उसे सहजभाव से क्यों स्वीकार नहीं करते? इस पर भी यदि कोई कहे कि हम यह थोड़े ही चाहते हैं कि सभी - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/४ -

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