Book Title: Kurmastakadvyam
Author(s): Bhojdev Maharaj
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 25
________________ Kūrmaśatakadvayam संखारहिआ जाया भुअणे अन्ने वि तं पि तह कुम्म । भङ्गीए पुणो भेओ अन्नो च्चिअ तुम्ह निव्वडिओ ॥४२॥ , अच्छउ भुअणुव्वहणं हिअएण वि तं न जाइ चिन्तेउं । तं पि हु कम( १८ )ढेण कयं गरुआण गई असावन्ना ॥४३॥ पट्टीए ओडवणे लोओ चुहुचुहइ कमढरायस्स । भारस्स दुव्वहत्तं भग्गो न हु मुणइ केरिसयं ॥४४॥ के के न एत्थ जाया के न हु होन्ता खणे तहिं पि जणा । मोत्तूण कमढरायं भण भुअणं केण उद्धरिअं ॥४५॥ सासेण जस्स भु( १९)णं सयलं ऊससइ कमढरायस्स । को तेण होउ सरिसो जाओ जणणीऍ सो च्चेअ ॥४६॥ बहुए वि एत्थ जाया तेहिं पि हु किं पि किं पि एत्थ कयं । भुअणुद्धरणसमत्थो एक्को च्चिअ कच्छओ जाओ ॥४७॥ के के न एत्थ जाया चरियायारेहिँ अस्थि ताण समा । कच्छवसरिच्छएणं न य जाओ ने( २० )अ जम्मिहिइ ॥४८॥ सुत्थं भुअणं पि कयं संका धरणीए तह समुद्धरिया । किं किं न किं न विहिरं कुम्म तए एत्थ जाएण ॥४९॥ खेओ सोक्खब्भहिओ भारुव्वहणे विहाइ कुम्मस्स । गरुआण ववसिआणं को मज्झं जाणिउं तरइ ॥५०॥ भुअणभरुव्वहणेण वि अन्नं सोक्खं विहाइ कमढस्स । (२१) जं रुच्चइ तं सुहयं अन्ना हु गई न सोक्खस्स ॥५१॥ परियत्तंते काले के के हु खणा न एत्थ उप्पन्ना । सो हु खणो एक्को च्चिअ जस्सि कुम्मो समुप्पन्नो ॥५२॥ धन्ना सि कच्छवि तुमं धन्नो जाओ वि तुज्झ सो एक्को । तह विहुरे जेण तहा जयस्ससत्ती समुप्पुसिआ ॥५३॥ उअयारो गणियाणं जो वि हु सो वि (२२) हु कुणेइ इह लोए । भु( णस्स) वि उअयरिअं कुम्मेण परं हु एक्केण ॥५४॥ जाओ सो च्चिअ वुच्चइ जम्मो सहलो हु तस्स एक्कस्स । जस्स सरिच्छो भुअणे न य जाओ नेअ जम्मिहिइ ॥५५॥ जम्मप्फलो हु जम्मो जो जायइ होउ होउ किं तेण । परउअयरणस्स कए जो जम्मो सो हु फलजम्मो (२३) ॥५६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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