Book Title: Kurmastakadvyam Author(s): Bhojdev Maharaj Publisher: L D Indology AhmedabadPage 33
________________ 12 Jain Education International जा मरिऊणं धरिआ कुम्मप्पमुहेहि क( १६ ) हवि इह धरणी । सा विहिआ खेल्लणयं भोअ तए इह धरन्तेण ॥ ४२ ॥ Kurmasatakadvayam धरणीए समं धरिआ कुलगिरिपमुहा हु जाव तेण समं । जलनिहिणा तुद्वेणं अज्जं वेला तुहं गहिआ ॥ ४३ ॥ पुहईए गरुअत्तं अज्जावहि नेअ केण वि निरुद्धं । धरिऊण तए एअं लहुईलहुअ त्ति नाम कयं ॥४४॥ तहनमिअकप्परे( १७ ) णं धरणी एह धारिआ कहं कह व । सा नीसंका अज्जं हसेड़ गिरिनिज्झरनिहेण ॥४५ ॥ लहुआविआ हु धरणी कुलगिरिणो खव्विआ सरीनाहो । अणगहिरो निम्मविओ कस्स निमित्तस्स मह कहसु ॥४६॥ धरणी अज्जं हिट्ठा तइ धरिआ भोअ मन्नए एअं । पुरिसोत्तिमेण इअं लहुअत्तं गरुइमब्भ( १८ ) हिअं ॥४७॥ कमढो धरे धरण आएणं गरुइमा वि अइलहुई । तइ धरिआ पुण सा वि हु पेच्छसु कं गरुइमं पत्ता ॥४८॥ लहुअत्तं तुह दिनं मा मन्नसु धरणि भोअराएण । ते धरिआ सि एअं गरुआण वि गरुइमं देइ ॥ ४९ ॥ कुम्मविणासे खुहिआ अज्जावहि संकिआ ठिआ धरणी । तइ धरिआ पु ( १९ ) ण एहि सप्पसरा पुण व सप्पसरा ॥५०॥ लहुआविआ वि हई अप्पं लहुआविअं न मन्ने । न गति किं पि दइए रत्तुम्मत्ताओं महिलाओं ॥५१॥ लहुअवि वि हु पुहई भोअ तए मुणइ गरुअमत्ताणं । महिलाण पिएण कयं सयलं लडहं पडीहाइ ॥ ५२ ॥ कुम्मेण धरा धरिआ लहुअं अप्पं सया ( २० ) वि मन्नन्ती । तइ धरिआ पुण एसा दूणं अत्ताणयं लहइ ॥५३॥ जो गाओ हु दिन्नो पसूहि सो होइ एत्थ केओ । लहुअत्तणं तइ कयं पडिहाइ महीए अइगरुअं ॥५४॥ लहुअत्तं गरुअत्तं भारस्स चडेड़ धारएण कयं । गरुअवि कुम्मेणं धरणी लहुआविआ हु ए ॥ ५५ ॥ अत्त (२१) पि दिन्नं पसूहि पडिहाइ लहुइमब्भहिअं । तइ दिन्नं हुअत्तं पडिहायइ गरुइमब्भहिअं ॥५६॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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