Book Title: Kurmastakadvyam
Author(s): Bhojdev Maharaj
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 27
________________ Kūrmaśatakadvayam अणुकूलेणं विहिणा धुअ तं जाएसु उअरि भुअणस्स । कुम्मेण ववसिएहिं सव्वे तुम्हे तले विहिआ ॥७२॥ कच्छवि तुमं पसूआ अन्नाओ पसविआ( २९)ओ वंझाओ । जीअ तणएण तुलिअं तइलोक्कं वीअनिरवेक्खं ॥७३॥ जइ भारो वि हु वुब्भइ ता वुञ्भइ( ? वुब्भउ) एत्थ कुम्मभारसमो । एक्कलजुएण वूढो जेण सया बीअनिरवेक्खो ॥७४॥ कज्जेण एत्थ उअरिं जो जायइ सो हु तत्थ धुअ सच्चं । उअरिट्ठिओ वि हेतु जो ववसाएण पम्मुक्को ॥७५॥ तं कुम्म एत्थ जाओ तए जिअं तं (३०) सि एत्थ रे धन्नो । बीअधुरिएण खंधो जस्स न केणावि उद्धरिओ ॥७९॥ वंझाओ पसविआओ वि सयलाओ वि एत्थ अन्नमहिलाओ विहिआओ कच्छवेणं अन्नं भणिउं न सम्माइ ॥७७॥ अन्ने वहति भारं विणा न बीएण ते हु कइआ वि । एक्कलजुएण भारं एक्को कुम्मो च्चिअ वहेइ ॥७८॥ दट्ठण कुम्म( ३१ )रूअं जम्मो उव्विसइ अत्तणो वि इहं । दट्टण ववसिआई तस्स पुणो अहिअमुव्विसइ ॥७९॥ जम्मविणासाण कए जो जम्मो सो हु कस्स न हु एत्थ । जम्मफलो पण जम्मो जाओ एक्कस्स कुम्मस्स ॥८॥ बीएण विणा वूढं जं वूढं तं खु एत्थ सच्चिमयं । अन्नमुहं दट्टणं जं वुब्भइ तं खु जाउ द्रहे ॥८१॥ (३२) चंकमिअं तं वुच्चइ जे(णं) मग्गे वि दरिसिए इअरा । न चयंति पयं दाउं मग्गे जह कमढनिम्मविअं ॥८२॥ धरणिधरणम्मि हिअयं जाणं जायं खु तेहिं समयं पि । उव्वूढो भुअणभरो पेच्छह एक्केण कुम्मेण ॥८॥ कमढिणि तं सि पसूआ जीए जाएण सयलमहिलाओ । होन्तेहिँ वि पसवेहि वंझाओं वि हढे ३३ )ण विहिआओ ॥८४॥ (के के) न एत्थ जाया के न हु अच्छन्ति के न होहिन्ति । तह वि तुह कुम्म तुल्लो न य जाओ नेअ जम्मिहिइ ॥८५॥ कज्जसएहिँ कएहिँ वि किं तेहिँ कएहिँ साररहिएहिं । एकं पि खु तं किज्जइ जह विहिअं एत्थ कुम्मेण ॥८६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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