Book Title: Kurmastakadvyam Author(s): Bhojdev Maharaj Publisher: L D Indology AhmedabadPage 24
________________ Avanikūrmaśatam आयारो सो रइओ अणचंकमणं च देव्व तं दिन्नं । कुम्मस्स ववसिएणं सयलं तुह मत्थए पडिअं ॥२७॥ परिकलिउ न चइज्जइ अज्झवसाओ हु (१२) एत्थ पुरिसाण । कुम्मेण तं खु कलिअं हिअए वि हु जं न सम्माइ ॥२८॥ कुम्मो वहेइ भुअणं धुअं हि भुअणस्स उप्परे कुणसि । हयदेव्व साहुचरिअं पुज्जउ किं भण्णए अन्नं ॥२९॥ आयारो जाई वा ववसाए कारणं न पेच्छामो । मुणिकच्छवे निहालह ववसायं ता( १३ )ण पेच्छेह ॥३०॥ सोक्खं च(इ)ऊण निअं भुअणस्स वि ओड्डिओ तहा खंधो । रे साहु साहु कच्छव अन्नं वडुत्तणं लद्धं ॥३१॥ दुज्जणजणो हु जंपइ पट्ठी कुम्मेण ओड्डिआ भारे । एअं पि हु तेण कयं बीएणं भणसु जइ भणसु ॥३२॥ दुज्जणजणो हु जंपइ पट्टी कुम्मेण ओड्डिआ भा( १४ )रे । पट्ठी वि हु ओड्डिज्जइ एअं निव्वडइ कुम्मस्स ॥३३॥ निअसुहकज्जे सव्वो इह ववसइ तं खु कमढ तेण विणा । चिन्तंतेहिँ वि कच्छव न आणिओ तुह अहिप्पाओ ॥३४॥ रित्तं भुअणकडित्तं अच्छइ रेहाहिं वज्जिअं निअह । वडत्तणस्स रेहा एक्का कमढस्स तत्थ परं ॥३५॥ (१५) विहिणा तारिसओ च्चिअ (नो?) विहिओ धरउ केण अन्नेण । इअ कुम्मेणं पट्टी ओड्डविआ भुअणभारस्स ॥३६॥ होतेहिँ अवयवेहिं पढेि ओडवइ जइ न ता साहु । तेहिं विणा वि पट्टि कुम्मो ओड्डवइ भुअणस्स ॥३७॥ केणावि जो न दिवो खुन्नो न कया वि एत्थ सुटु नवो । परउ १६ )वयरणे मग्गो पढमो कुम्मेण निम्मविओ ॥३८॥ रे कुम्म तं सि जाओ अन्नेहिँ मुहा किमेत्थ जाएहिँ । जस्स समप्पिअभारं सुहेहिं भुअणं पि निवसेइ ॥३९॥ अज्झवसिअं खु तं चिअ जं न हु कइआ वि को वि अणुसरिही । तं कुम्मे च्चिअ थक्कं इअरा इअर च्चिअ वराया ॥४०॥ (१७)निअकज्जे जाण तणू ताणं संखं पि एत्थ को मुणउ । जीअं पि हु परकज्जे जस्स पुणो सो हु कमढवई ॥४१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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