Book Title: Kurmastakadvyam
Author(s): Bhojdev Maharaj
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 23
________________ Kurmaśatakadvayam धन्ना सि कच्छवि तुमं मज्झे महिलाण पसविआ तं सि । वीसामओ वि जाओ जीए जायस्स न हु भुअणे ॥१२॥ जे वि हु धरंति धरणिं तेहिं पि समं धरिज्जए सा वि । इअ एरिस( ६ )ववसाओ कुम्मो च्चिअ एत्थ उप्पण्णो ॥१३॥ जइ जम्मो वि हु जायइ ता जायउ कमढ तुज्झ सारिच्छो । परउवयारिक्कफलो पेरंतं जाव जो पत्तो ॥१४॥ निअजाईयसरिच्छं चरिअं निव्वडइ एत्थ पुरिसाण । निअपरजाइविरुद्धं दीसइ एक्कस्स कुम्मस्स ॥१५॥ (७) निअयपसवस्स गव्वं एक्क च्चिअ कमढिणी समुव्वहउ । जीए तणयस्स सरिसो न य जाओ नेअ जम्मिहिइ ॥१६॥ अज्जावहि अन्निटुं वीओ भुअणे वि नेअ उप्पण्णो । एक्कलजुएण भुअणं कुम्मो एक्को च्चिअ वहेइ ॥१७॥ सो च्चिअ वुब्भइ भारो बीओ खंधं न जस्स ओड्डे (८)इ । कुम्मो अन्नेण समं पेच्छह जइ भारमुव्वहह ॥१८॥ सो च्चिअ वुब्भइ भारो अन्नेहिं जाइ जो न परिकलिउं । अन्नेण समं वूढो वूढो वि हु सो अनिव्वूढो ॥१९॥ जाई देव्वायत्ता चरिअं पुण होइ पुरिससाहीणं । अज्झवसायं पेच्छह केरिसओ सो हु कुम्मस्स ॥२०॥ रे देव्व (९) तं विडंबसु पुरिसो किं जाइ तुह विडंबेउं । कुम्मो कओ कह तए तस्स वि चरिआइ कह पेच्छ ॥२१॥ कुम्मेण धरा धरिआ लोओ जंपेइ नाइ इअ विलिओ । अंगाई अंगेसुं निअयाई उअह निण्हवइ ॥२२॥ परिकलिउं न चइज्जइ अज्झवसाओ हु एत्थ पुरि १० )साण । कुम्मस्स तं खु रू( अं) ववसाओ सो हु पुण तस्स ॥२३॥ चंकमणविरहियाणं निअरिसणं ववसिअस्स सो च्चेअ । पेच्छह कमढे दोन्नि वि पेरन्तं जाव पत्ताई ॥२४॥ उवमाणं कह लब्भउ पेच्छह कुम्मस्स असमचरिअस्स । न य जाओ न य दीसइ न य होही ज(११ )स्स सारिच्छो ॥२५॥ अन्नेण मणेण तए कुम्मो हयदेव्व सो विणिम्मविओ । अवहत्थिऊण तं पि हु चरिअं तस्सन्नहा जायं ॥२६। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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