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नाथ प्रजुना स्नात्र जलना तरंगो के जे अद्भुत पुण्यथी प्राप्त करी शकाय वा बे, ते व एक वखत पण न्हाएली मृगना जेवा नेत्रवाळी स्त्रीोमां को पूर्ण समृद्धिवाली थाय बे, कोइ पुत्रवती थाय बे, कोइ पोताना लांबा वखतना सर्व रोगोनो दय करनारी थाय बे ने कोई सौभाग्यना विलासने जनारी थाय बे. २०
विशेषार्थ - -
श्लोकी कवि श्री पार्श्वनाथप्रभुना स्नात्रजलनो महिमा वर्णवे बे. ते कुमारविहार चैत्यनी अंदर रहेला श्री पार्श्वनाथ प्रभुना नात्रजल वमे एकजवार स्नान करनारी स्त्रीने घणुं फळ मळे बे. तेनाथी समृद्धि, पुत्र, आरोग्य अने सौभाग्यनी प्राप्ति थाय बे. २०
जंघालैः किरणोर्मिभिः शितिमणीनाकल्पगान् मौक्तिक