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नावार्थ – जे उघाडेली दृष्टिना तेजथी कामदेवने शमावनार छे, त्रण जगत्ना लोकोए जेनी सेवा करेली छे अने सपना इंडोना स्फुट एवा मयिोना किरणोनी पंक्तिथी जेमनुं मस्तक उज्वल बे एवा देवने प्राप्त करीने ने कुमारोना व्यतिकरथी सुंदर तथा सिंहना पृष्ठ उपर आरुढ थयेबिकाने धारण करीने जे कुमारविहार चैत्य पोताना शिखरोनी भूमिनी कोटीथी आकाशने स्पर्श करनारा एवा हिमालय पर्वतनी शोजाने धाकरे. ३० विशेषार्थ- -
श्लोकमां बे अर्थ रहेला बे. एक पक्के श्री पार्श्वनाथ बीजे हिमालयने पक्षे शंकरनो अर्थ थाय छे. ज्या
जुनो अर्थ थाय
ने
चैत्य हिमालयन शोनाने धारण करे छे त्यारे हिमालयनी अंदर जे रहेल छे, ते या चैत्यनी अंदर प्रववुं जोइए. हिमालयमां शंकर ने पा