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कुमारविहा रसत्कम् ॥
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र्वती बने रहे छे, एम बौकिकमां कहेवाय छे, तो आ चैत्यमां पण शिव रूपे पार्श्वनाथ देव तथा अंबिका रहेछे. शंकरे पोतानी दृष्टिना तेजथी कामदेवनेजेम बाल्यो छे, तेम पार्श्वनाथ प्रजुए पण दिव्य ज्ञान दृष्टिथी कामदेवने शमावेस्रो छे. जेम जगत्ना मिथ्यात्वी बोको शंकर देवनी सेवा करे छे, तेम सर्व जगत्ना समकिती लोको श्री पार्श्वनाथ प्रनुनी सेवा करे छे. शंकरने सर्पना आजूषणो होवाथी तेना मणिना किरणोनी श्रेणीथी तेनु नत्तमांग उज्वल छे, ते वी रीते पार्श्वनाथ प्रजुना मस्तक उपर सर्प होवाथी तेमनुं मस्तक पण तेवी रीते नज्वल छे. शंकरनी पासे सिंह नपर बेठेती अंबिका देवी पोताना कुमार एटले कार्तिकेय स्वामी पुत्रवमे युक्त छे, तेम पार्श्वनाथ प्रनुनी पासे तेमनी अंबिका नामे शासनदेवी कुमारोना व्यतिकरथी सुंदर छे. आथी ते चैत्य हिमालय पर्वनी शोनाने प्राप्त थयेधुं छे. ३७