Book Title: Kumarvihar Shatak
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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नावार्थ-स्वच्छ एवा चंद्रकांत मणिोनी वेदिकाने विषे मल्लिकानां पुष्प जेवी कांतिवाली, सुवर्णना स्तंननी समीप सुवर्णी रंगवाली, नीलमणिना तट पासे मयूर पतीना गलाना जेवी कांतिवाली, सूर्यकांत मणिनी कांतिमोथी नेत्रमा अश्रुवाती थती, हाथीओनां चित्रोने सध्ने लय पामती अने पुतलीयोथी विस्मय पामती नगरनी स्त्रीओ जे चैत्यनी व्याख्यानशासानी रंगनूमि नपर नटमीोना चातुर्यने धारण करती हती. १०५
विशेषार्थ- श्लोकथी ग्रंथकार कुमार विहार चैत्यनी पासे आवेत्री व्याख्यानशाळानुं वर्णन करे . ते व्याख्यान शास्त्राने रंगलूमिनुं अने तेनी अंदर आवती स्त्रीओने नटमीओनुं रूपक आपे . नटमीओ जेम विविध वर्णना वेष पेहेरी रुदननो, भयनो अने विस्मयनो देखाव करे ने तेम ते व्याख्यानशालामां नगरनी स्त्रीओनो तेवो देखाव थतो हतो. ते स्त्रीओ चंका

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