Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad View full book textPage 4
________________ सभी तीर्थों के ट्रस्टीगण को सजाग होना अनिवार्य है कि किसी भी आचार्य भगवंत, साधु-साध्वी भगवंत द्वारा इस तरह के गच्छराग का Virus फैलाकर जैनशासन की शांति एवं एकता का भंग तो नहीं किया जा रहा है ? अगर जिनशासन के विविध संघों की शांतिमय आराधना बरकरार रखनी हो तो जो संघ जिस आचार्य भगवंतों के मार्गदर्शन से स्थापित हुआ एवं आराधना कर रहा हो, वह संघ उन्हीं आचार्य भगवंत एवं उनके ही गच्छ के दूसरे आचार्य भगवंतों का मार्गदर्शन लें, दूसरे किसी गच्छ के आचार्य भगवंत का हस्तक्षेप न होने दें एवं जो तीर्थ जिस आचार्य भगवंत द्वारा प्रतिष्ठित हुआ हो अथवा जीर्णोद्धार हुआ हो उस तीर्थ के विकास आदि कार्य हेतु उन्हीं आचार्य भगवंत एवं उनके गच्छ के ही अन्य आचार्य भगवंत से मार्गदर्शन आदि लें, जिससे जिनशासन के संघों की शांति बरकरार रहे, जैन तीर्थों का गौरव बढे, क्लेश का स्थान न बने एवं सभी गच्छों के आचार्य भगवंत अपनी-अपनी अवग्रह मर्यादा में रहकर शास्त्रीय रीति का पालन कर अपने सुसाधुपने की सीमा धारण करें / तपागच्छ की शालीनता का यह ज्वलंत उदाहरण है कि किसी भी तपागच्छ के साधु-साध्वी भगवंतों ने किसी भी संघ में अन्य गच्छ के अनुयायी श्रावकों को तपागच्छ के नाम की माला पहनाकर संघ भेद का घोर पाप नहीं किया एवं संघ में संकलेश का वातावरण खडा नहीं किया / डॉ. तेजस शाह CA. हर्ष शाह CA. तप शाहPage Navigation
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