Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ ११५ ११६ काव्यानुशासनम् चतुर्थोऽध्यायः (८) छत्रवन्ध : (९) पद्मबन्ध : हा मान | र म रा नजि मो क्र स्था CUL पु ज्ञा पु एनश्छिनत्तु न इन सुनयेन पुनः पुनः । ध्यानज्ञान धनस्थान स्वनमिर्ध्वननः स्वनः || गोमूत्रिका : ए न छि न तु न इ न सु न ये न पु न पु न ध्या न जा न ध न स्था न स्व न मि ध्व न न स्व न श्रिये श्री स्व्रतो देवः श्रितो मुनिभिरस्तु वः । नरामरनमन्मौलि लिह्यमानक्रमो जिनः ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92