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क्रान्ति रण का अग्र योद्धा,
कष्ट
धर्म
ध्वंसक कुप्रथाओं के लिए तूफान है मैं |
दंभ का, पाखंड का, भ्रम
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कृष्ण - सा सत्कर्म
कर कल्याण हूँ मैं |
का, प्रलय अवसान
भूमि
अन्त - कर काली निशा का,
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तल पर विश्वपति का,
श्रेष्ठ
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रम्य स्वर्ण विहान हूँ मैं ।
योगी, दैत्यरिपु अभिधान हूँ मैं ।
भीष्म- सा वर ब्रह्मचारी,
तम वरदान हूँ मैं ।
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वीर वर अभिमन्यु निर्भय,
तात पद पूर्त्यर्थं करता,
भीम सा बलवान हूँ मैं |
श्री भरत दुष्यन्त कुलमणि,
साहसी धृतिमान हूँ मैं ।
सिंह शिशु के दाँत गिनता,
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घोरतम घमसान हूँ मैं ।
मैं ।
शौर्य - श्रोतस्वान हूँ मैं ।
मृत्यु - भीति प्रलोभनों पर,
खींचता युग कान हूँ मैं ।
पंचनद दीपक हकीकत,
ठोकरों की तान हूँ मैं ।
[ १५ ]
धर्म पर बलिदान हूँ मैं ।
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