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वीर - पुंगव पूर्वजों का,
भक्त श्रद्धावान हूँ मैं । और आगामी प्रजा का,
पूज्य - पद भगवान हूँ मैं। अन्ततः माता - पिता के,
खेल का सामान हूँ मैं। जो विचारे, सो बना ले,
देव हूँ, शैतान हूँ मैं।
मलेन्द्रगढ , माघ १६६२
NAMA
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