Book Title: Kavyanjali Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith AgraPage 25
________________ वीर - पुंगव पूर्वजों का, भक्त श्रद्धावान हूँ मैं । और आगामी प्रजा का, पूज्य - पद भगवान हूँ मैं। अन्ततः माता - पिता के, खेल का सामान हूँ मैं। जो विचारे, सो बना ले, देव हूँ, शैतान हूँ मैं। मलेन्द्रगढ , माघ १६६२ NAMA । १६ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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