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शिशु का अपना परिचय पूज्य भारत मातृ - भू की;
चाहती संतान हूँ मैं । राष्ट्र, मंडल, जाति. कुल की,
जागती जी - जान हूँ मैं । आज का लघु शिशु पयोमुख,
ना समझ नादान हूँ मैं । हाँ, भविष्यत का महत्तम,
वृद्ध वर धीमान हूँ मैं । आज क्या, रजकण जरा-सा,
तुच्छ हूँ बे - भान हूँ मैं । देखना कुछ दिन, हिमाचल,
विश्व • वन्द्य महान हूँ मैं। वृद्धजन आशा - लता का,
पुष्प चिर - अम्लान हूँ मैं । सर्व - विध सौरभ गुणों का,
आद्य केन्द्र स्थान हूँ मैं । द्वोष से अति ही घृणा है,
प्रेम पर कुरबान हूँ मैं। सौम्य सस्मित सर्व - सुन्दर,
विश्व में असमान हूँ मैं । नव्य युग सर्जन करूंगा,
जीर्ण - कण्ठ कृपाण हूँ मैं। [ १४ ]
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