Book Title: Karmprakruti
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 11
________________ कर्मकृत ए०, श्रीमान् डाँ० हीरालालजी जैन एम० ए०, डी० लिट् जबलपुर और श्रीमान् डॉ० आ० ने० उपाध्याय एम० डी० लिट् कोल्हापुरसे प्राप्त हुई । समय-समयपर पत्रोंके द्वारा एवं प्रत्यक्ष भेंट में मौखिक रूपसे आपने जो सुझाव एवं प्रोत्साहन ग्रन्थको प्रकाशमें लानेके लिए दिये उसके लिए मैं दोनों महानुभावोंका बहुत आभारी हूँ । भारतीय ज्ञानपीठके सुयोग्य मन्त्री श्रीमान् बाबू लक्ष्मीचन्द्रजी जैन एम० ए० का मैं बहुत आभारी हूँ जिन्होंने ग्रन्थकी पाण्डुलिपि दिये जानेके पश्चात् स्वल्प समय में ही इसे प्रकाशित करके ग्रन्थको सर्वसाधारण के लिए सुलभ कर दिया है । ५ सर्वप्रथम धन्यवाद के अधिकारी दानवीर, श्रावक - शिरोमणि श्रीमान् साहू शान्तिप्रसादजी ओर सी० रमारानी जैनका आभार प्रकट करनेके लिए मेरे पास समुचित शब्द नहीं । सारा हो जैन समाज आपके इस ज्ञानपीठका चिरकृतज्ञ रहेगा । आप लोगोंके द्वारा संस्थापित और संचालित यह भारतीय ज्ञानपीठ अपने पवित्र उद्देश्योंकी पूर्ति में उत्तरोत्तर अग्रेसर रहे यही अन्तिम मङ्गल कामना है । भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १६-४-६३ Jain Education International For Personal & Private Use Only - हीरालाल शास्त्री www.jainelibrary.org

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