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कर्म प्रकृतियों को घटा देने से शेष १२ कर्म-प्रकृतियाँ रहती हैं । इन १२ कर्म प्रकृतियों का उदय चौदहवे गुणस्थान के अन्तिम समय तक रहता है । इस के रुक जाते ही जीव, कर्म-मुक्त होकर पूर्ण-सिद्ध-स्वरूप को प्राप्त कर लेता है और मोक्ष को चला जाता है ॥ २१ ॥ २२ ॥
इति
उदयाधिकार समाप्त ।