Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 140
________________ (११०) गा० प्रा० सं० हिं० ७-निहा निष्टा ६,२०-निद्ददुग निद्राद्विक ३ १,१०,२१-निमिण निर्माण समाप्ति. निद्रा और प्रचला. निर्माणनामकर्म. ३२-निय नीच २-नियहि निवृत्ति २५-निरय निरय २६-निरयाउ निरयायुत् १४-निग्याणु- निस्यानुपूर्वी पुन्वी ७--नेइ नी-नयति नीचगोत्र. नितिगुणस्थान. पृ० १६ नरक. नरक-यायु नरकासुपूर्वीनामकर्म. . प्राप्त करता है. १७-परखेव २७-पढम ३१,६,२६-पण प्रक्षेप प्रथम प्रक्षेप-मिलाना. पहला. पाँच. ११-~-पणग पञ्चक पाँच. २७-पणयाल पञ्चचत्वारिंशत् पैतालीस. २०-पणवन्ना पन्चपञ्चाशत् पचपन ५-पणवीस पन्चविंशति पच्चीम. • ३१-पणसीइ पञ्चानीति पिवासी. ६,२३-पणिदि पवेन्द्रिय पवेन्द्रिय जातिनाम ३३-~पणिं दिय, पञ्चेन्द्रिय १,३४-पत्त प्राप्त प्राप्त हुआ. २७---पप्प प्र+पाप-प्राप्य प्राप्त करके.

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