Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 146
________________ (११६) सं गा० प्रा० मोक्ष. सिद्धि , सु-खगति ३५-सिद्धि -सु-खगइ २२,३३-सुभग ६--सुरदुग ७,८,२० -मराउ ३२-सुसर सुरद्विक सुरायुस् सुस्वर शुभविहायोगतिना० सुभगनामकर्म. देवगति और देवानुपूर्वी. देवनाय. सुस्वरनामकर्म. सूक्ष्मसम्परायगु० पृ. २२ सक्ष्मनाम, अपर्याप्तनाम और साधारणनाम. सुस्वरनामकर्म. २,११,१-सुहुम सूक्ष्म १४---सुहुमतिग सूक्ष्मत्रिक २२-सूसर सुस्वर १०-हास २६--हासनग हास्य . हास्यपटक हास्यमोहनीय. हास्यमोहनीय श्रादि प्रफुतियाँ पृ०.६२. १९-हालाइछक्क हास्यादिषट्क ११-होण हीन रहित. .. हुण्डसंस्थानना०

Loading...

Page Navigation
1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151