Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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(६३)
१२५
९२६
१२७
RAMM
पर्याप्त प्रत्येक स्थिर शुभ सुभग सुस्वर श्रादेय यश-कीर्ति स्थावर सूक्ष्म अपर्याप्त साधारण
अस्थिर १३७ अशुभ १३८ | दुर्भग १३४ दुःस्वर . " १४०
अनादेय अयशम्कीर्ति,
गोत्र-कर्म-२ उचैर्गोत्र १३ नीचगोत्र
9999999 . *120p utputpu0901909mar on or or orarror
१४१
-
अन्तरायकर्म-५
१४४ दानान्तराय , १४५ लाभान्तराय १४६ | भोगान्तराय
उपभोगान्तराय १४८वीर्यान्तराय
१४७
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