Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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(१०४)
गा०
.
सं.
हिं.
फर्मन्
१,३,२५-कम्म
२१-कम्म २६.--कमसो ५-खगह
फर्मन क्रमशः शुषगति
कर्म. पृ०३२ फार्मणशरीरनामकर्म. अनुक्रम से. अशुभविहायोगतिनामफर्म. जुगुप्तामोहनीय.
१०-कच्छा
कुत्सा
ख
२८,२६
खगति
३-खगइ २१-खगइदुग
खगतिद्विक
२६-खय २७-खवग ३४-खविं
१-खविय २,२०-खीण
नाश. विहायोगतिनामकर्म. शुभविदायोगतिनाम
और अशुभविहागोगति नामकर्म. नाश. क्षपकणि -प्राप्त. तय कर के. क्षय किया हुआ. क्षीण कपायवीतरागछप्रस्थगु-पृ०२६ प्रक्षेप.
पक क्षपयित्वा क्षपित क्षीण
१५-खेव
.
२३---गइ ३१-ांधा
गति गन्यतिक
गतिनामकर्म. सुरभिगन्ध और दुर भगन्ध. नामकर्म.

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