Book Title: Karmastava
Author(s): Atmanandji Maharaj Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 136
________________ शा० प्रा० १० छवीस १६-१ - सट्ठ १७- इस्लयरि ४ -- द्विव ११,१२. १६,१७ -देख १८,१६ २०,३३ -जड़ ७---जया १ - जह ८ जं २५, २७– जा १ - जाइ २३, ६) १०,३२ - जिया १३ ३४- जो २५- टिह ६- त्यी ( १०६ ) सं० पविशति पटि पट्सप्तति संवार्त छेद यदि यदा यथा यत् यावत् जाति जिन यः स्थिति ལ fc छवीस. छियासठ छिहत्तर. सेवार्तसंहनन नामकर्म, प्रभाव. जो. जन. जिसप्रकार. क्योंकि, पर्यन्त. जातिनामकर्म. तीर्थङ्कर नामकर्म. जो. कर्म बन्ध की काल मर्यादा स्त्रीवेद,

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